चंद्रबाबू नायडू की धमाकेदार वापसी
आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर नायडू का जलवा देखने को मिला है। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने विधान सभा और लोक सभा चुनावों में जिस तरह से वापसी की है, वह सचमुचRemarkable है। 2019 में भारी हार का सामना करने और एपी स्किल डेवलपमेंट केस में गिरफ्तार होने के बावजूद, उन्होंने केवल छह महीनों के भीतर एक शानदार वापसी की है। टीडीपी ने 144 में से 136 सीटें जीतकर राजनीतिक मोर्चे पर अपनी शक्ति का प्रमाण दिया, और नायडू ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
इनकी इस विजय में उनकी कुशल नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नायडू ने अपने जनसभाओं में जोशीले भाषणों के ज़रिए जनता को संबोधित किया और उन्होंने साथ ही साथ पवन कल्याण के जन सेना पार्टी (जेएसपी) और बीजेपी से गठबंधन कर अपनी पार्टी की स्थिति को मज़बूत किया।
तीन-स्तरीय रणनीति
नायडू की सफलता के पीछे उनकी तीन-स्तरीय रणनीति थी, जिसमें कार्यकर्ताओं, पार्टी और नेता पर ध्यान केंद्रित किया गया। उन्होंने राजनीतिक परामर्श मंच शो टाइम कंसल्टिंग (एसटीसी) के साथ मिलकर पार्टी की पुनर्रचना की और भटके हुए नेताओं को वापस लाया। इस प्रक्रिया में, उन्होंने 'एंट्रा मना कर्मा' और सेल्फी अभियानों का भी सहारा लिया, जिसके माध्यम से वाईएसआरसीपी सरकार की अधूरी वादों, बेरोजगारी और निवेश की कमी जैसे मुद्दों को जनता के सामने उभारा।
जेल से जारी थी पार्टी की कमान
गिरफ्तारी के बावजूद, नायडू ने जेल से ही पार्टी की गतिविधियों को संचालित किया। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपने इस momentum को बनाए रखा और एक केंद्रीय कमांड सेंटर की स्थापना की। उन्होंने व्यापक रूप से जनसभाओं को संबोधित किया और जनता के बीच अपनी पैठ बनाई।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में प्रमुख स्थान
नायडू ने अंततः राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया और गठबंधन में प्रमुख भूमिका निभाई। नई चुनौतियों के समक्ष खड़े नायडू का अगला उद्दीष्ट राज्य के लिए विशेष दर्जा प्राप्त करना, कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना और रोजगार के अवसर बनाना है, जिसके लिए केंद्र से वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी।
नायडू का यह सफर दिखाता है कि कैसे एक तेज दिमाग और राजनीतिक खिलाड़ी मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है। उनके आगामी प्रयासों को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि वे आंध्र प्रदेश की नियति को किस दिशा में ले जाते हैं।
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