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चार्टर्ड अकाउंटेंट की काम के तनाव से मौत: EY पर मां ने लगाए गंभीर आरोप

Uma Imagem 16 टिप्पणि 18 सितंबर 2024

चार्टर्ड अकाउंटेंट की काम के तनाव से मौत: EY पर मां ने लगाए गंभीर आरोप

केरल की 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबस्टियन पेराइल की अत्यधिक काम के तनाव और कठोर कामकाजी परिस्थितियों के कारण दुखद मौत हो गई है। अन्ना ने जुलाई में इस दुनिया को अलविदा कहा, जब उन्होंने Ernst & Young (EY) पुणे की टैक्स और स्टैच्यूटरी ऑडिट विभाग में काम शुरू किए हुए महज चार महीने ही हुए थे। अन्ना की मां, अनीता ऑगस्टीन ने EY इंडिया के चैयरमेन राजीव मेमानी को पत्र लिखते हुए अन्ना की मौत के लिए अत्यधिक काम के तनाव को जिम्मेदार ठहराया है।

अन्ना मार्च 2024 में EY में काम करने लगी थीं, जब उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षा 2023 में पास की थी। लेकिन नया काम, नई जगह, और लंबे काम के घंटों की वजह से उन्हें जल्द ही अत्यधिक काम का दबाव महसूस होने लगा। काम के इस दबाव ने उन्हें चिंता, अनिद्रा और तनाव की स्थिति में डाल दिया।

अधिकारियों का रवैया और काम की परिस्थितियाँ

हालांकि अन्ना ने अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद काम जारी रखा, यह सोचते हुए कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता ही सफलता का मार्ग है। उनके मैनेजर ने भी उन्हें टीम के साथ बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसका असर यह हुआ कि कई कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया था। मैनेजर अक्सर मीटिंग को क्रिकेट मैचों के दौरान रद्द कर देते थे और दिन के अंत में काम सौंप देते थे, जिससे अन्ना के तनाव में और वृद्धि हो जाती थी।

कार्यालय की एक पार्टी में, एक वरिष्ठ नेता ने मजाक में कहा था कि अन्ना को अपने मैनेजर के तहत काम करने में कठिनाई होगी। यह क्रूर वास्तविकता जल्द ही स्पष्ट हो गई। अन्ना का स्वास्थ्य तेजी से खराब होता गया; उन्हें छाती में संकोच महसूस हुआ और डॉक्टर के परामर्श के बाद उन्हें एंटासिड दिया गया। इसके बावजूद, अन्ना ने कहा कि काम बहुत ज्यादा है, इसलिए वे काम जारी रखेंगी।

काम का बोझ और उसकी प्रतिक्रिया

अन्ना को अक्सर देर रात तक काम करना पड़ता था और सप्ताहांत में भी काम जारी रहता था। उनके समर्पण और चिंता को नजरअंदाज कर दिया गया। अन्ना की मां अनीता ने अपने पत्र में इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि EY कंपनी उस संस्कृति को बढ़ावा देती है जो अधिक काम करने को महिमामंडित करती है जबकि कर्मचारियों के भले की अनदेखी करती है।

अनीता ने यह भी नोट किया कि EY से कोई भी अन्ना के अंतिम संस्कार में नहीं आया, जिसे उन्होंने बेहद दुखद और अस्वीकार्य बताया।

कार्य संस्कृति और इसके प्रभाव

इस घटना ने EY और व्यापक रूप से कंसल्टिंग उद्योग की कार्य संस्कृति को लेकर गंभीर प्रश्न उकसाए हैं। McKinsey Health Institute के 2023 के सर्वेक्षण के अनुसार, 59% भारतीय उत्तरदाताओं ने बर्नआउट की शिकायत की, जो कि ग्लोबली सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा जुलाई में बढ़कर 62% हो गया, जिसमें काम के तनाव और खराब कार्य-जीवन संतुलन को मुख्य कारण बताया गया।

अनीता के पत्र ने EY और कंसल्टिंग उद्योग को अपनी कार्य संस्कृति पर पुनर्विचार करने और कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है।

सर्वेक्षण आईएएस ग्लोबली आंकड़ा
बर्नआउट 59% 62%

16 टिप्पणि

  1. Shatakshi Pathak
    Shatakshi Pathak
    सितंबर 20 2024

    ये जो कंपनियां हैं, वो बस बिल्कुल इंसानों को मशीन समझती हैं। अन्ना की मौत सिर्फ एक ट्रैजेडी नहीं, बल्कि एक सिस्टम की निर्ममता का प्रमाण है। काम के लिए जिंदगी बर्बाद करना कोई सफलता नहीं, बल्कि एक अपराध है।

    मैंने भी एक कंसल्टिंग फर्म में काम किया था, वहां भी रात को 2 बजे तक काम करना नॉर्मल समझा जाता था। कोई पूछता नहीं कि तुम सोए क्या नहीं।

  2. Nitya Tyagi
    Nitya Tyagi
    सितंबर 21 2024

    अरे भाई, ये सब तो बस बहाना है... अगर इतना तनाव हो रहा था तो वो जाती क्यों नहीं? कोई उसे मजबूर नहीं कर रहा था। अपने आप को बचाना भी तो ज़रूरी है। ये सब बहुत आसानी से 'हर चीज़ को कंपनी का दोष' दे देते हैं।

  3. Sanjay Verma
    Sanjay Verma
    सितंबर 22 2024

    मैंने McKinsey के रिपोर्ट को देखा है - भारत में बर्नआउट का रेट दुनिया में सबसे ज्यादा है, और इसका कारण सिर्फ काम का बोझ नहीं, बल्कि सामाजिक दबाव है। हम अपने आप को 'मेहनती' बताने के लिए खुद को मार रहे हैं।

    अन्ना ने जो किया, वो अच्छा नहीं था - लेकिन उसके आसपास का सिस्टम उसे बचाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था।

  4. surabhi chaurasia
    surabhi chaurasia
    सितंबर 23 2024

    इस तरह के लोगों को बहुत बार देखा है। वो खुद को बहुत बड़ा समझते हैं, लेकिन अपनी जिम्मेदारी नहीं लेते। अगर वो अपना स्वास्थ्य नहीं देख रही थीं, तो ये उनकी गलती है।

  5. Amresh Singh knowledge
    Amresh Singh knowledge
    सितंबर 24 2024

    हमें इस घटना को एक व्यक्तिगत त्रासदी के रूप में नहीं, बल्कि एक संस्थागत विफलता के रूप में देखना चाहिए। कंपनियों को कर्मचारी स्वास्थ्य पर नियमित निरीक्षण और नीतियां बनानी चाहिए। यह नैतिक जिम्मेदारी है, न कि कृपा।

  6. Rahul Madhukumar
    Rahul Madhukumar
    सितंबर 26 2024

    अरे यार, ये सब बहुत आसानी से बोल देते हो... लेकिन अगर तुम अपने काम को छोड़ दोगे तो दूसरा कौन लेगा? ये बाजार नियम हैं। अगर तुम नहीं करोगे तो दूसरा कर लेगा। अन्ना को बस अपनी जिम्मेदारी नहीं समझनी चाहिए थी।

  7. Khushi Thakur
    Khushi Thakur
    सितंबर 27 2024

    हम सब इस दुनिया में अपनी अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं... लेकिन क्या हम अपनी आत्मा के लिए भी लड़ रहे हैं? अन्ना की मौत एक चेतावनी है - कि हम अपने अंदर के आवाज़ को बहुत जल्दी दबा देते हैं।

    हम तो अपने आप को 'काम करने वाले' बताते हैं, लेकिन क्या हम अपने आप को 'जीने वाले' बन पाए हैं?

  8. Varad Tambolkar
    Varad Tambolkar
    सितंबर 27 2024

    ये सब बाहरी शक्तियों की साजिश है। जब तक हम अपने आप को इंडिया के लिए नहीं बनाएंगे, तब तक ये चीजें बरकरार रहेंगी। EY जैसी कंपनियां अमेरिका और यूरोप से आई हैं, और वो भारतीयों को अपनी लूट के लिए इस्तेमाल कर रही हैं।

    अन्ना की मौत एक राष्ट्रीय आपदा है - और हम सब इसके लिए जिम्मेदार हैं।

  9. Vijay Paul
    Vijay Paul
    सितंबर 28 2024

    इस तरह के मामलों में जल्दबाजी में निष्कर्ष नहीं निकालने चाहिए। लेकिन ये बात सच है कि हमारी कंपनियां कर्मचारियों के स्वास्थ्य की ओर बहुत कम ध्यान देती हैं। एक बार अच्छी नीति बन जाए तो ऐसी घटनाएं कम हो सकती हैं।

  10. RUPESH BUKE
    RUPESH BUKE
    सितंबर 29 2024

    बहुत बुरा लगा

  11. Chirag Kamra
    Chirag Kamra
    सितंबर 30 2024

    ये तो बिल्कुल फट गया 😭 मैंने भी एक बार 3 दिन तक सोया नहीं था... और मेरा मैनेजर बोला 'अरे यार तू तो बहुत टाइम मैनेज करता है!' 🤦‍♂️ अन्ना के लिए बहुत दुख है... ये दुनिया बहुत जल्दी बदलनी चाहिए।

  12. Ramesh Velusamy
    Ramesh Velusamy
    अक्तूबर 1 2024

    अन्ना के लिए बहुत दुख है... लेकिन ये एक नया शुरुआत हो सकता है। अगर हम इस बात को लेकर बात करने लगे, तो बदलाव आएगा।

    मैं अपनी टीम के साथ अब रोज 6 बजे के बाद काम नहीं करने का नियम बना रहा हूँ। छोटा कदम, लेकिन असरदार। तुम भी ऐसा कर सकते हो।

  13. Sushil Kallur
    Sushil Kallur
    अक्तूबर 1 2024

    हम अपनी संस्कृति में अक्सर अत्यधिक मेहनत को सराहते हैं। लेकिन क्या हम उसे बचाने के लिए भी तैयार हैं? अन्ना की कहानी हमें याद दिलाती है कि काम जीवन का हिस्सा होना चाहिए, जीवन का सब कुछ नहीं।

  14. Chandni Solanki
    Chandni Solanki
    अक्तूबर 2 2024

    मैं एक फीमेल एकाउंटेंट हूँ और ये सब बिल्कुल जानती हूँ। हमें अक्सर दूसरे काम के लिए भी बोला जाता है, और जब हम थक जाते हैं तो कोई नहीं सुनता।

    अन्ना की मां के पत्र ने मुझे रो दिया। हमें एक ऐसा समाज चाहिए जहां लड़कियां भी बिना डर के 'ना' कह सकें। ❤️

  15. Nitin Garg
    Nitin Garg
    अक्तूबर 3 2024

    अरे भाई, ये सब तो बस बहाना है। अगर तुम इतना तनाव महसूस कर रही थीं तो अपने घर चली जाती। ये नौकरी तुम्हारे लिए नहीं थी। अब लोगों को ये सब बातें सुनकर अपनी जिम्मेदारी छोड़ देनी है।

  16. Seema Lahiri
    Seema Lahiri
    अक्तूबर 4 2024

    मैंने इस कहानी को पढ़ा और बस चुप रह गई। क्योंकि मैं भी एक ऐसी ही जगह पर काम करती हूँ। जहां रात को 12 बजे तक काम करना नॉर्मल है। जहां जब तुम बीमार होती हो तो लोग कहते हैं 'अभी तो तुम बहुत ताज़ा हो'।

    मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं भी अन्ना बन जाऊंगी। लेकिन अब मैं जानती हूँ कि अगर मैं नहीं बदलूंगी तो कोई नहीं बदलेगा।

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