कैप्टन अंशुमन सिंह की बहादुरी और बलिदान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 5 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में कैप्टन अंशुमन सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। कैप्टन अंशुमन सिंह, जो पंजाब रेजिमेंट की 26वीं बटालियन के मेडिकल ऑफिसर थे, सियाचिन में चंदन ड्रॉपिंग जोन में हुए एक आगजनी के हादसे में अपने साथी सैनिकों को बचाते हुए अपनी जीवन की आहुति दी।
कैप्टन सिंह की विधवा, स्मृति सिंह, जिन्हें इस सम्मान को स्वीकार करने का अवसर मिला, ने भावुक होकर उनकी बहादुरी और बलिदान को याद किया। स्मृति सिंह ने कैप्टन अंशुमन सिंह के बारे में बताते हुए कहा कि वो हमेशा से लोगों की मदद करने के लिए तत्पर रहते थे और उनकी इसी विशेषता ने उन्हें एक सच्चा हीरो बना दिया।
कैप्टन सिंह और स्मृति की प्रेम कहानी
स्मृति सिंह ने अपने और कैप्टन अंशुमन सिंह के मिलन की कहानी भी साझा की। दोनों की मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई थी और वहीं से उनका प्रेम शुरू हुआ। स्मृति ने बताया कि आठ साल के लंबे अंतराल के बावजूद दोनों ने अपने प्रेम को बनाए रखा और अंततः विवाह बंधन में बंधे।
शादी के दो महीने बाद ही अंशुमन को सियाचिन के कठिन ड्यूटी पर भेज दिया गया। स्मृति ने कहा कि उनका रिश्ता बेहद खास था और वो एक-दूसरे से हमेशा जुड़े रहते थे। 18 जुलाई 2023 की रात को हुई एक संवेदनशील बातचीत में उन्होंने अपने भविष्य के योजनाओं के बारे में चर्चा की थी, लेकिन अगले ही दिन स्मृति को अंशुमन की शहादत की ख़बर मिली।
कैप्टन अंशुमन सिंह के साहसिक कार्य
स्मृति सिंह ने कैप्टन अंशुमन सिंह के साहसिक कार्यों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने ना केवल अपने साथी सैनिकों को बचाया बल्कि आवश्यक मेडिकल सप्लाई को भी सुरक्षित रखा। उनके इस साहसिक कदम ने अनेकों की जान बचाई और उन्हें सच्चा हीरो बना दिया। स्मृति ने गर्व से कहा कि वो हमेशा अंशुमन की बहादुरी की कहानियों को याद रखेंगी और इन से प्रेरणा लेती रहेंगी।
विदाई के पल और कीर्ति चक्र का सम्मान
कैप्टन अंशुमन सिंह के अंतिम विदाई के समय स्मृति सिंह ने उनके दृढ़ निश्चय और साहस को याद किया। उन्होंने बताया कि अंशुमन हमेशा कहते थे कि देशसेवा सबसे ऊपर है और उन्होंने इसे साबित कर दिखाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा मरणोपरांत कीर्ति चक्र का सम्मान स्मृति के लिए अत्यंत गर्व का पल था। भावुक स्मृति ने इस सम्मान को स्वीकार करते हुए कहा कि अंशुमन हमेशा उनके दिल में जिंदा रहेंगे और उनकी यादों में बस चुके हैं।
प्रेरणा और अनुकरणीय उदाहरण
कैप्टन अंशुमन सिंह के बलिदान की कहानी न केवल उनकी विधवा, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। उनकी साहसिक कार्यों और देशप्रेम की भावना ने यह साबित कर दिया कि वे एक सच्चे हीरो थे।
आज भी अंशुमन की कहानी उनकी विधवा, स्मृति सिंह के माध्यम से जीवित है और ये कहानी हर नागरिक को देश के प्रति उनके दायित्वों का एहसास कराती है।
एक टिप्पणी लिखें