सड़क दुर्घटना में अक्षम हुआ एक उज्ज्वल भविष्य
मध्यप्रदेश से आने वाले 26 वर्षीय हर्षवर्धन की सड़क दुर्घटना में मृत्यु महज एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की हानि है। अपनी पहली पोस्टिंग के लिए हर्षवर्धन के सफर का समापन ऐसा दर्द लेकर आएगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। एक होनहार अधिकारी का निधन एक ऐसे प्रश्न को जन्म देता है, जिसे समाज लंबे समय से उपेक्षित कर रहा है - सड़क सुरक्षा। यह हादसा कर्नाटक के हासन जिले के करीब किट्टने में हुआ, जहां उनका वाहन एक पेड़ और एक घर से टकरा गया।
दुर्घटना का हेतु और परिणाम
इस त्रासदी का कारण वाहन का टायर फटना बताया गया है। जब यह टायर फट जाता है, तो वाहन अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पेड़ से टकराता है। इस टकराव के कारण हर्षवर्धन को गंभीर रूप से सिर में चोटें आईं और उनका निधन हो गया। वे अस्पताल में भर्ती हुए, परंतु उनके जीवन को बचाया न जा सका। इस घटना ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को उजागर किया है।
एक प्रेरक यवक की कहानी
हर्षवर्धन की कहानी प्रेरणास्पद है, जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अपने दुसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 153वां रैंक हासिल कर इस प्रतिष्ठित सेवा में प्रवेश किया। उनकी कार्यकुशलता और दृढ़ता उनके साथियों में अक्सर चर्चा का विषय रहती थी। उनकी उन्हें पहली नियुक्ति के लिए होलेनरसीपुर जाने की तैयारी थी, जहां उन्हें सहायक एसपी के रूप में शामिल होना था।
परिवार का दुःख और संवेदनाएं
हर्षवर्धन का परिवार, जो उनकी सफलता का उत्सव मना रहा था, अब इस दुखद घड़ी में उन्हें अंतिम विदाई देने की तैयारी कर रहा है। उनके पिता अखिलेश सिंह, जो कि सिंगरौली जिला में सबडिविजनल मैजिस्ट्रेट हैं, ने अपने बेटे के इस असमय निधन से गहरा दुख व्यक्त किया है। पारिवारिक जड़ें मध्यप्रदेश के रीवा जिले के मजियार गांव तक हैं, परंतु उनका निवास अब पटना में है।
सड़क सुरक्षा और भविष्य की चिंता
हर्षवर्धन की इस दुखद मृत्यु ने लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया है। 'फाइव स्टार सेफ्टी कार्स' की कमी और सड़क सुरक्षा उपायों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए गए हैं। अक्सर हम देखते हैं कि हमारे समाज में सड़क सुरक्षा को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना कि देना चाहिए।
विभिन्न नेताओं की संवेदनाएं
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी अपने शोक संदेश में हर्षवर्धन की मृत्यु पर दुःख व्यक्त किया। सिद्धारमैया ने ट्वीट करते हुए कहा कि इतने मेहनत और उम्मीदों से भरे एक युवक का इस प्रकार से जाना दुखदाई है।
यह दुर्घटना न केवल परिवार, बल्कि उन सभी मित्रों, सहकर्मियों और समाज के लिए भी एक बड़ा झटका है जो हर्षवर्धन की क्षमताओं व सपनों से परिचित थे। उनके सहपाठी शैलेंद्र सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा, 'हम सड़क सुरक्षा को क्यों नहीं प्राथमिकता में लाते?' वरिष्ठ सिविल सेवक श्रीनिवास कटिकितला ने हर्षवर्धन के साथ अपनी संक्षिप्त बातचीत को याद करते हुए उनकी जीवंतता को याद किया है।
सड़क दुर्घटनाओं के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर ठोस नीतियों की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके। कई अन्य दुर्घटनाओं की तरह, यह घटना भी उन अपर्याप्त सुरक्षा और ऑटोमोबाइल सुरक्षा मानकों की ओर इशारा करती है, जिन्हें अब ठीक करने की जरूरत है।
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