पैसे की चाह तो हर उम्र में होती है, लेकिन बच्चों को सही दिशा देना ज़रूरी है. अगर आपका बच्चा छोटा‑छोटा काम करके थोड़ा कमा ले तो न सिर्फ उसकी जिम्मेदारी बढ़ेगी, बल्कि उसे बचत और खर्च का असली मतलब भी समझ आएगा। नीचे कुछ सरल उपाय दिए हैं जिनसे आप अपने बच्चे को सुरक्षित रूप से कमाई की राह पर ला सकते हैं.
सबसे आसान तरीका है घर के छोटे‑छोटे काम. टेबल साफ़ करना, बर्तन धौना, या पड़ोस में कुत्ते चलाना – ये सभी कार्य बच्चों को थोड़ी-बहुत कमाई दिला सकते हैं। आप एक छोटी फिक्स्ड रेट तय कर सकते हैं जैसे 50 ₹ प्रति घंटे या प्रत्येक काम पर निश्चित रकम. इससे बच्चे समय प्रबंधन सीखते हैं और परिवार की मदद भी करते हैं.
इंटरनेट ने बच्चों के लिए नई कमाई की संभावनाएँ खोली हैं – जैसे छोटे‑छोटे सर्वे, शॉर्ट वीडियो बनाना, या ग्राफिक डिजाइन टास्क. लेकिन यहाँ सुरक्षा सबसे बड़ी बात है. हमेशा सुनिश्चित करें कि साइट विश्वसनीय हो और पेमेंट बैंकेड या पैरेंटल अकाउंट के ज़रिये किया जाए। व्यक्तिगत जानकारी साझा न करने की स्पष्ट शिक्षा दें और हर लेन‑देन का रिकॉर्ड रखें.
कानूनी पहलू भी नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए. भारत में 14 साल से कम उम्र के बच्चे को फुल‑टाइम काम नहीं दिया जा सकता, पर पार्ट‑टाइम या फ़्रीलांस कार्य ठीक है अगर वह स्कूल की पढ़ाई में बाधा न बने. प्रत्येक राज्य के नियम अलग हो सकते हैं; इसलिए अपने स्थानीय श्रम विभाग की गाइडलाइन देखना समझदारी होगी.
अंत में, बचपन की कमाई को मज़े और सीखने का मिश्रण बनाइए. लक्ष्य सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, कौशल विकास और वित्तीय जागरूकता होना चाहिए. एक छोटी बचत खाता खोलें, मासिक लक्ष्यों को तय करें और जब बच्चा अपना पहला ₹100 जमा करे तो उसे सराहें. इस तरह छोटा‑छोटा कदम बड़ा भरोसा बन जाता है.
ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में एक चिंताजनक स्वास्थ्य समस्या है, जिसे वजन बढ़ने, शराब के सेवन और नियमित व्यायाम की कमी जैसे कारकों से बढ़ावा मिलता है। डॉ. रितिका हर्णिया हिण्डुजा, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, बताती हैं कि एक महिला के ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम का संबंध उसके ओवरी द्वारा उत्पादित हार्मोन से होता है। प्रजनन कारक जो इन हार्मोनों के Exposure को बढ़ाते हैं, जैसे कि शुरुआती मासिक धर्म, देरी से मेनोपॉज़ और पहली गर्भावस्था की देरी, ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम से जुड़े होते हैं।