अगर आप बॅडमिंटन के दीवाने हैं तो यह पेज आपके लिए है। यहाँ हम भारत के शटलरों की हालिया उपलब्धियों, रैंकिंग बदलावों और आने वाले टूर्नामेंट का सारांश देंगे। आसान भाषा में लिखे गए लेख पढ़कर आपको तुरंत समझ आएगा कि कौन खिलाड़ी किस मोड में है।
पिछले महीने पीवी सिंधु ने स्विट्ज़रलैंड ओपन में शानदार प्रदर्शन किया, दो सेट में विरोधी को हराकर क्वार्टर फाइनल तक पहुंचा। इस जीत से उनका विश्व रैंकिंग 5 पोजिशन ऊपर चला गया। वहीं सैना नेहवाल ने यूके के ग्रैंड प्री में महिला सिंगल्स का खिताब जीता और भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई जो लगातार दो टाइटल रखती है। इन दोनों सफलता से भारतीय बॅडमिंटन को नया आत्मविश्वास मिला है।
अगले महीने थॉमस कप का फाइनल भारत में होगा, इसलिए टीम ने ट्रेनिंग कैंप शुरू कर दिया है। कई युवा खिलाड़ी अब मुख्य स्क्वाड में जगह बना रहे हैं। अगर आप मैच लाइव देखना चाहते हैं तो टाइमटेबल आधिकारिक वेबसाइट पर मिल जाएगा। इसके अलावा एशिया पावेल भी दो महीनों बाद है, जहाँ भारत को गोल्ड मेडल का लक्ष्य रखा गया है। तैयारी में फिटनेस और खेल‑तकनीक दोनों ही अहम हैं।
कोच गीता बेज़र ने कहा कि इस सीज़न में शटलरों को तेज रिफ्लेक्स और बेहतर फुटवर्क पर काम करना होगा। उन्होंने विशेष ड्रिल्स का जिक्र किया जो कोर्ट के हर कोने तक पहुंचाने में मदद करती हैं। युवा खिलाड़ियों को अब से ही इन ट्रेनिंग सत्रों में भाग लेना जरूरी है, नहीं तो अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पीछे रह जाएंगे।
शटलर बनने के लिए केवल तकनीक नहीं, बल्कि मानसिक तैयारी भी उतनी ही ज़रूरी है। कई खिलाड़ी मेडिटेशन और विज़ुअलाइज़ेशन का सहारा लेते हैं। यह तरीका उन्हें दबाव वाले प्वाइंट पर शांत रखता है और मैच में बेहतर फोकस देता है। अगर आप शटलिंग सीख रहे हैं तो इस अभ्यास को अपनी रूटीन में जोड़ सकते हैं।
फ़ैन्स के बीच एक खास बात यह भी चल रही है कि अब सोशल मीडिया पर खिलाड़ी सीधे अपने ट्रेनिंग क्लिप शेयर कर रहे हैं। इससे नई पीढ़ी को सही तकनीक देख कर सीखने का मौका मिलता है। अगर आप किसी विशेष ड्रिल की वीडियो चाहते हैं तो इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर खोजें, कई प्रोफेशनल ने मुफ्त में टिप्स दी हैं।
भविष्य के लिए भारतीय शटलरों को दो बड़े लक्ष्य पूरे करने हैं: विश्व रैंकिंग टॉप‑5 में जगह बनाना और ओलंपिक मेडल जीतना। इन दोनों को हासिल करने के लिए लगातार अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेना जरूरी है। हर मैच अनुभव देता है, चाहे वह जीत हो या हार, दोनों से सीख मिलती है।
अंत में याद रखें, शटलर बनना आसान नहीं, पर मेहनत और सही दिशा में काम करके आप बड़े मुक़ाबले में भी खड़े हो सकते हैं। अगर आप इस खेल को पसंद करते हैं तो रोज़ थोड़ा अभ्यास करें, फिट रहें और हमेशा नई तकनीक सीखते रहें। आपके छोटे‑छोटे कदम एक दिन बड़ी जीत का कारण बनेंगे।
भारतीय शटलर पीवी सिंधु ने पेरिस ओलंपिक में महिलाओं के एकल बैडमिंटन इवेंट में एस्तोनिया की क्रिस्टिन कुबा को हराकर राउंड ऑफ 16 में प्रवेश किया है। ल शापेल एरिना में हुए मैच में सिंधु ने 21-5 और 21-10 के स्कोर से जीत हासिल की। इस जीत ने सिंधु को पुरुष युगल जोड़ी सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के साथ नॉकआउट चरण के लिए क्वालीफाइंग शटलर्स में शामिल कर दिया है।