भारत का हर कोना किसी न किसी त्योहार से जुड़ा है। चाहे गाँव की छोटी गली हो या बड़े शहर की चमकीली सड़क, तीज‑त्योहार लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं। इन त्यौहारों में परिवार मिलते हैं, पुराने रिवाज़ जीवित रहते हैं और नई पीढ़ी को संस्कृति समझाई जाती है। आप भी कभी सोचते नहीं कि ये रंगीन समारोह कितनी जल्दी बदलते हैं? चलिए, जानते हैं कुछ मुख्य तीज‑त्योहार और उनके पीछे की कहानियों को।
दिवाली – रोशनी का त्योहार, हर घर में दीया जलता है और पटाखे फूटते हैं। लोग मिठाई बाँटते हैं, नवीकरण की इच्छा से नए कपड़े पहनते हैं।
होली – रंगों की बौछार, गली‑गली में गुलाल उड़ता है। दोस्त‑यारों को एक-दूसरे पर रंग लगाकर सभी दुश्मनी भूल जाते हैं।
रक्षा बंधन – भाई-बहन के प्यार का प्रतीक, बहनें रक्षासूत्र बाँधती हैं और भाई अपने जीवन की सुरक्षा का वचन देते हैं।
दुर्गा पूजा – बंगाल में खास तौर पर मनाई जाती है, बड़े पंडालों में माँ दुर्गा के जुलूस होते हैं।
ईद‑उल‑फ़ितर और ईद‑उल‑अज़हा – मुस्लिम समुदाय की प्रमुख त्यौहारें, जहाँ मिलकर प्रार्थना, व्यंजन और दान किया जाता है।
1. स्वच्छता: बड़े समारोह में भी कचरे को सही जगह फेंकेँ। इससे पर्यावरण बचता है और आपके आसपास का माहौल साफ रहता है।
2. सुरक्षित जलन: अगर आप दीपावली या कोई धूमधाम वाला त्यौहार मना रहे हैं, तो आग के पास बच्चों को न छोड़ें और उचित extinguishers रखेँ।
3. स्वास्थ्य‑सुरक्षा: होली में रंगों की जगह प्राकृतिक गुलाबजल या हल्दी का उपयोग करें, ताकि त्वचा पर असर न पड़े।
4. समय‑बद्धता: कई त्यौहारों में पूजा‑पाठ के निश्चित समय होते हैं। अगर आप काम से देर कर रहे हों तो पहले से ही तैयार रहें, नहीं तो रिवाज़ अधूरे रह सकते हैं।
5. सामाजिक उत्तरदायित्व: तीज‑त्योहार का असली मकसद एकजुटता है। जरूरतमंदों को खाना या कपड़े देना न भूलें, इससे खुशी दोगुनी मिलती है।
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हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज भी कहते हैं, उत्तरी भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। यह दिन माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना और उनके पुनर्मिलन के जश्न के रूप में मनाया जाता है। इस साल हरियाली तीज 7 अगस्त को है। विवाहित महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र और सुखमयी जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं।