जब भी आप "क्राइम थ्रिलर" शब्द सुनते हैं तो दिमाग में तेज़ गति वाली सस्पेंस, रहस्य और अपराध की कहानी आती है। ये कहानियां अक्सर पुलिस, गैंग या अकेले हीरो के इर्द‑गिर्द घूमती हैं और आपको स्क्रीन से आँखें हटाना मुश्किल बनाती हैं। अगर आप इस तरह की फ़िल्में या किताबें पसंद करते हैं तो आगे पढ़ना फायदेमंद रहेगा।
पहली लिस्ट में ‘डॉन 2025’ है, जिसमें एक हाई‑टेक हिट‑मैन का सफ़र दिखाया गया है। कहानी शुरू से ही तेज़ी से आगे बढ़ती है और हर मोड़ पर नई साज़िश सामने आती है। दूसरा नाम ‘हैज़र्ड ज़ोन’, जो छोटे शहर में हो रहे सीरियल किलिंग को लेकर बनी है; इस फ़िल्म की नज़रिए से आप पुलिस के जासूसी टूल्स को भी देखेंगे। तीसरी फिल्म ‘विक्टोरिया केस’ एक courtroom thriller है, जहाँ वकील और आरोपी दोनों ही अपने‑अपने राज़ छुपाते हैं। इन फ़िल्मों में कहानी, अभिनय और बैकग्राउंड म्यूज़िक सब कुछ साथ‑साथ चलती है, इसलिए देखना मजेदार रहेगा।
अगर आप पढ़ाई में भी रुचि रखते हैं तो ‘द डिटेक्टिव की डायरी’ को हाथ लगाएँ। ये एक छोटे शहर के जासूस की कहानी है, जिसमें हर अध्याय में नया क्लू मिलता है और अंत तक अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है। दूसरा विकल्प ‘शिकारी का खेल’, जो एक प्रोफ़ेशनल हिट‑मैन के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को उजागर करता है; इस किताब में आपको अपराधी की सोच समझ में आएगी। तीसरी सिफ़ारिश ‘रात की गली’ है, जहाँ एक महिला पत्रकार एक हाई‑प्रोफ़ाइल केस पर काम करती है और उसकी हर चाल पढ़कों को चौंका देती है। इन पुस्तकों का पेज टर्निंग बहुत तेज़ है, इसलिए बोर नहीं होंगे।
क्राइम थ्रिलर को समझने के लिए सिर्फ कहानी ही नहीं, बल्कि उसका निर्माण भी देखना ज़रूरी है। स्क्रीनप्ले में किस तरह से सस्पेंस बनता है? किताबों में लेखक कैसे क्लू छुपाते हैं? इन सवालों का जवाब आप खुद खोज सकते हैं जब आप ऊपर बताई गई फ़िल्में या पुस्तकों को देखें/पढ़ें।
अब बात करते हैं कि आप अपने लिए सही थ्रिलर कैसे चुनें। अगर आपको एक्शन पसंद है तो हाई‑स्टाइल गैंगस्टर फिल्में चुनिए, जैसे ‘डॉन 2025’। यदि कानूनी ड्रामा में दिलचस्पी है तो ‘विक्टोरिया केस’ देखिए। पढ़ते समय अगर आप जटिल मनोविज्ञान चाहते हैं तो ‘शिकारी का खेल’ आपके लिए सही रहेगा। इस तरह अपनी पसंद के हिसाब से चुनें, नहीं तो कई घंटे बोरिंग सामग्री में घिसे रह जाएंगे।
सिर्फ़ फ़िल्म या किताब देखना/पढ़ना ही नहीं, बल्कि उस पर चर्चा करना भी मजेदार हो सकता है। आप दोस्तों के साथ एक छोटा थ्रिलर क्लब बना सकते हैं जहाँ हर हफ़्ते एक नई फ़िल्म या पुस्तक की समीक्षा की जाएगी। इससे न केवल आपका ज्ञान बढ़ेगा बल्कि आप अपने विचारों को बेहतर ढंग से व्यक्त कर पाएंगे।
अंत में, यदि आप खुद का क्राइम थ्रिलर लिखने का सोच रहे हैं तो सबसे पहले कहानी के मुख्य तत्व तय करें: अपराध, सस्पेंस और समाधान। एक आकर्षक शुरुआत, बीच में कई मोड़ और अंत में एक संतोषजनक क्लू रखिए। पढ़ने वाले को आश्चर्यचकित करने वाला टוויס्ट देना न भूलें। इस तरह आपका लेखन भी प्रोफेशनल थ्रिलर जैसा बन जाएगा।
तो अब देर किस बात की? ऊपर दी गई फ़िल्मों में से कोई एक चलाइए या सिफ़ारिश की किताब खोलिए और खुद को क्राइम थ्रिलर के रोमांचक सफ़र पर ले जाइए। हर कहानी में नई सीख, नया एड्रेनालिन और बहुत सारी एंटरटेनमेंट है – बस आप तैयार रहें!
तमिल स्टार विजय सेतुपति की 50वीं फिल्म, महाराजा, निथिलन समीनाथन द्वारा निर्देशित है। यह कहानी महाराजा की है जो एक सैलून चलाता है और अपनी बेटी ज्योति की देखभाल करता है। उनकी पत्नी की मृत्यु के बाद, महाराजा एक लड़की लक्ष्मी को भी गोद लेता है। फिल्म का पहला भाग महाराजा और उसकी बेटियों के रिश्ते पर केंद्रित है। फिल्म की क्लाइमैक्स भावनात्मक है और विजय सेतुपति का प्रदर्शन प्रभावशाली है।