अगर आप टेक्नोलॉजी में रूचि रखते हैं तो एआई चिप्स का नाम अक्सर सुनते रहेंगे। ये छोटे‑छोटे प्रोसेसर होते हैं जो मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग के काम को तेज़ बनाते हैं। आजकल हर बड़े कंपनी, स्टार्टअप या शोध संस्थान इन पर निर्भर करता है – चाहे वह सिरी की आवाज़ हो या फोटो में वस्तु पहचान। तो चलिए देखते हैं कि इस महीने एआई चिप्स की दुनिया में क्या‑क्या बात हुई है और आगे कौन‑से ट्रेंड देखे जा रहे हैं।
इस हफ़्ते सबसे बड़ी खबर NVIDIA ने अपनी नई ‘H100’ सीरीज लॉन्च की, जो 5 पेटा FLOPS तक की प्रोसेसिंग शक्ति देती है। इसे क्लाउड सर्विस प्रदाता तुरंत अपनाने लगे और कई बड़े डेटा सेंटर में इंस्टॉल हो गया। दूसरी ओर, भारत के स्टार्टअप ‘इंटेलिकोर’ ने अपना पहला एआई प्रोसेसर ‘Kavach’ दिखाया, जो स्थानीय भाषा मॉडल को सपोर्ट करता है। यह कदम भारतीय डेवलपर्स के लिए महँगा लाइसेंस बिना काम करने का आसान रास्ता खोलता है।
अमेरिका की प्रमुख चिप निर्माता AMD ने भी एआई मार्केट में प्रवेश किया, अपना ‘MI300X’ पेश करके जो गेमिंग ग्राफिक्स को एआई कार्यों से जोड़ता है। इस तरह के हाइब्रिड चिप्स का लक्ष्य दो‑तीन काम एक साथ करना है – इससे ऊर्जा बचत और लागत घटती है। चीन भी पीछे नहीं है; वह अपने ‘华为麒麟’ में नई AI एक्सेलेरेटर तकनीक डाल रहा है, जो मोबाइल फोन में सीधे मॉडल चलाने की क्षमता देता है।
देश में एआई चिप्स पर निवेश बढ़ रहा है। सरकार ने ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के तहत 500 करोड़ रुपये का फंड बनाया, जो घरेलू निर्माताओं को प्रोटोटाइप बनाने में मदद करेगा। कई विश्वविद्यालय अब माइक्रो‑फ़ैब्रिकेशन लैब खोल रहे हैं, जिससे छात्रों को हाथ‑से‑हाथ सीखने का मौका मिल रहा है। इस माह के अंत तक भारत के पाँच प्रमुख टॉप 10 एआई चिप स्टार्टअप्स ने सीरीज़ B फंडिंग ले ली, जिसमें कुल 120 करोड़ रुपये जुटे।
उद्यमियों को सबसे बड़ी चुनौती अभी भी सप्लाई चैन में है। सिलिकॉन वेफ़र की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और विदेशी निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय निर्माण आवश्यक हो गया है। लेकिन हाल ही में एक नई जॉइंट वेंचर ने भारत में पहला 300 mm वैफर फाउंड्री खोलने का ऐलान किया, जिससे भविष्य में लागत घटेगी और एआई चिप्स की उपलब्धता बेहतर होगी।
उपभोक्ता स्तर पर भी बदलाव साफ दिख रहा है। स्मार्टफ़ोन में अब बुनियादी AI फीचर डिफ़ॉल्ट रूप से आते हैं – जैसे फोटो रीटच, वॉइस असिस्टेंट, और रियल‑टाइम अनुवाद। इसके साथ ही छोटे व्यवसायों के लिए एआई-ऑप्टिमाइज़्ड POS सिस्टम भी सस्ते में मिल रहे हैं, जिससे बिक्री की प्रोसेसिंग तेज़ होती है। आप देख सकते हैं कि एआई चिप्स न सिर्फ बड़े डेटा सेंटर को बदल रही हैं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में भी अपनी जगह बना रही हैं।
संक्षेप में, एआई चिप्स का बाजार लगातार बढ़ रहा है और तकनीकी प्रगति तेज़ी से हो रही है। चाहे आप निवेशक हों, डेवलपर या सामान्य उपयोगकर्ता – इस क्षेत्र को समझना आपके भविष्य के फैसलों को आसान बना देगा। आगे आने वाले महीनों में नई रिलीज़, मूल्य परिवर्तन और नीति बदलावों पर नज़र रखें, क्योंकि एआई चिप्स का असर सिर्फ कंप्यूटिंग तक सीमित नहीं रहेगा, यह हर उद्योग को री‑शेप करेगा।
एनवीडिया का बाजार पूंजीकरण लगभग $3.02 ट्रिलियन हो गया है, जिसने एप्पल के $2.99 ट्रिलियन को पछाड़ दिया है, इसे दुनिया की दूसरी सबसे मूल्यवान कंपनी बना दिया है। माइक्रोसॉफ्ट सबसे मूल्यवान कंपनी बनी हुई है। एनवीडिया की सफलता उसकी एआई चिप्स और ब्लैकवेल उत्पादों के कारण है।