आपको पता है कि हमारे शरीर के अंदर हर छोटी‑छोटी चीज़ को नियंत्रित करने वाला एक रासायनिक संदेशवाहक होता है? इसे ही हम हार्मोन कहते हैं। रोज़मर्रा की थकान, मूड का उतार‑चढ़ाव या वजन में बदलाव – सब कुछ इस पर निर्भर करता है। इसलिए जब भी हार्मोन से जुड़ी कोई नई ख़बर आती है, तो उसे पढ़ना फायदेमंद होता है।
इंसुलिन हमारे खून में शुगर को नियंत्रित करता है, जिससे डायबिटीज़ का खतरा कम हो सकता है या बढ़ भी सकता है। थायरॉइड हॉर्मोन मेटाबॉलिज़्म को तेज़‑धीमा कर देता है, इसलिए थकान महसूस होने पर इसका टेस्ट करना ज़रूरी है। महिलाओं में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन मासिक चक्र के साथ-साथ बड्डी कॉम्पोजिशन को भी प्रभावित करते हैं। अगर आप इन हॉर्मोनों की सही जानकारी रखें तो कई स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं।
क्या हार्मोन असंतुलन वजन बढ़ा देता है? अक्सर ऐसा होता है, क्योंकि इंसुलिन या कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ने से फैट स्टोरेज बढ़ जाता है। समाधान में संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और डॉक्टर की सलाह से दवा शामिल हो सकती है।
कब टेस्ट करवाना चाहिए? अगर आपको लगातार थकान, नींद न आने या अनियमित पीरियड्स जैसी समस्याएँ हों, तो एक एन्डोक्रिनोलॉजिस्ट के पास जाकर हॉर्मोन लेवल चेक कराएं। शुरुआती जांच से बड़ी समस्या रोकना आसान रहता है।
हमारी साइट पर कई लेख हैं जो इन विषयों को सरल शब्दों में समझाते हैं – जैसे "इंसुलिन रेज़िस्टेंस कैसे पहचाने" या "टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके"। आप इन्हें पढ़कर अपनी दिनचर्या में छोटे‑छोटे बदलाव कर सकते हैं।
यदि आपको किसी विशेष हॉर्मोन से जुड़ी खबर चाहिए, तो टैग ‘हॉर्मोन’ वाले लेखों को देखें। वहाँ नवीनतम बायो‑टेक अपडेट्स, दवा की नई रिसर्च और विशेषज्ञ राय एक ही जगह मिलेंगी। पढ़ते रहें, समझते रहें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाते रहें।
ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में एक चिंताजनक स्वास्थ्य समस्या है, जिसे वजन बढ़ने, शराब के सेवन और नियमित व्यायाम की कमी जैसे कारकों से बढ़ावा मिलता है। डॉ. रितिका हर्णिया हिण्डुजा, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, बताती हैं कि एक महिला के ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम का संबंध उसके ओवरी द्वारा उत्पादित हार्मोन से होता है। प्रजनन कारक जो इन हार्मोनों के Exposure को बढ़ाते हैं, जैसे कि शुरुआती मासिक धर्म, देरी से मेनोपॉज़ और पहली गर्भावस्था की देरी, ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम से जुड़े होते हैं।