अगर आप स्टॉक मार्केट में नया खेल शुरू कर रहे हैं तो IPO अलॉटमेंट आपके लिए सबसे पहला कदम है. जब कंपनी पहली बार शेयर बाजार में आती है, सरकार और एक्सचेंज तय करते हैं कि कितना हिस्सा किसे मिलेगा. यह बंटवारा सीधे आपके निवेश पर असर डालता है – अगर आपको पर्याप्त शेयर मिले तो कीमत बढ़ने से फायदा हो सकता है.
सबसे पहले कंपनी अपना प्रॉस्पेक्टस रिलीज़ करती है, जिसमें कुल शेयरों की संख्या, मूल्य और बुक‑बिल्डिंग प्रक्रिया बताई जाती है. फिर निवेशक एप्लिकेशन फॉर्म भरते हैं – ऑनलाइन या डिमैट अकाउंट के ज़रिए. सब्मिशन बंद होने के बाद एक्सचेंज सभी एप्लिकेशन्स को देखता है और एक टेबल बनाता है जो दिखाती है कि हर बिडर को कितना शेयर मिलेगा.
अगर आपकी बिड़ राशि कम है तो आप पूरी या आधी संख्या में मिल सकते हैं, जबकि हाई रेटर्स को अक्सर पूरा अलॉटमेंट मिलता है. बंटवारा दो तरह से हो सकता है – प्रॉस्पेक्टस के अनुसार तय प्रतिशत (फिक्स्ड अलॉटमेंट) या बुक‑बिल्डिंग के आधार पर (डायनेमिक अलॉटमेंट). अधिकांश भारतीय IPOs में दोनों का मिश्रण होता है.
1. **समय से पहले आवेदन करें** – बुक‑बिल्डिंग वाले IPO में अंतिम तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है, देर से सब्मिट करने पर आप बाहर रह सकते हैं.
2. **कैप रेट को समझें** – अगर आपका कैप रेट (कुल फंड का 10% या 20%) बहुत कम है तो अलॉटमेंट की संभावना घट जाती है. इसलिए बड़ी रकम लगाना फायदेमंद हो सकता है, पर जोखिम भी देखना ज़रूरी है.
3. **ऑनलाइन पोर्टल्स पर नज़र रखें** – NSE, BSE और विभिन्न ब्रोकरेज साइट्स पर “अलोमेंट स्टेटस” सेक्शन रहता है. आप वहाँ अपना एप्लिकेशन नंबर डालकर तुरंत पता कर सकते हैं कि आपको कितने शेयर मिले.
4. **बाजार की खबरों को फॉलो करें** – जैसे Ola Electric की ब्लॉक‑डील के बाद उसके शेयर में हल्की गिरावट आई, वैसे ही कुछ IPOs में शुरुआती ट्रेडिंग पर असर पड़ता है. यदि आप अलॉटमेंट के बाद शेयर बेचने का सोच रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें.
5. **ट्रायल और रिवर्स ट्रेंड** – कभी‑कभी हाई डिमांड वाले IPO में लिस्टिंग के पहले दिन कीमतें उछलती हैं, लेकिन अगले हफ़्ते गिरावट देखी जा सकती है. इसलिए अलॉटमेंट मिलने पर तुरंत बेचने से बचें और थोड़ा इंतज़ार करें.
6. **डायवर्सिफ़िकेशन** – सभी पैसे एक ही IPO में न लगाएँ. कई कंपनियों के IPOs में भाग लेकर जोखिम कम कर सकते हैं.
7. **टैक्स इम्पैक्ट समझें** – अलॉटमेंट से मिलने वाले शेयरों की वैल्यू और बाद में बिके कीमत पर टैक्स लागू होता है. इससे बचने के लिए अपने ब्रोकरेज से सलाह लें.
इन टिप्स को अपनाकर आप IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं और बेहतर रिटर्न कमा सकते हैं। याद रखें, जानकारी ही शक्ति है – जितना अधिक समझेंगे उतनी ही चतुर निवेश decisions लेंगे.
आर्केड डेवलपर्स का आईपीओ अलॉटमेंट स्टेटस बीएसई वेबसाइट या बिगशेयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की वेबसाइट पर देखा जा सकता है। यह गाइड बताएगा कि किस प्रकार आप अलॉटमेंट स्टेटस जांच सकते हैं, सब्सक्रिप्शन स्टेटस, आईपीओ का आकार, कीमत बैंड, और लिस्टिंग की तारीख संबंधी विवरण प्राप्त कर सकते हैं।