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क्रेडिट लागत क्या है? आसान समझ के साथ

जब कोई कंपनी या व्यक्ति पैसा उधार लेता है, तो उसे वापस चुकाने के साथ-साथ कुछ अतिरिक्त भुगतान भी करना पड़ता है। उसी अतिरिक्त भुगतान को हम क्रेडिट लागत कहते हैं। इसे समझना जरूरी है क्योंकि यह हर निवेश, हर बैंकर, और हर शेयरधारक को सीधे प्रभावित करता है।

क्रेडिट लागत के मुख्य घटक

क्रेडिट लागत सिर्फ ब्याज नहीं होती। इसमें कई चीजें मिलती हैं:

  • ब्याज दर – मूल रकम पर लागू होने वाला प्रतिशत।
  • फी और चार्ज – लोगनिंग चार्ज, प्रोसेसिंग फीस, या लेट पेमेंट पेनल्टी।
  • इन्शुरेंस प्रीमियम – कभी‑कभी उधार देने वाले कंपनी को जोखिम से बचाने के लिए बीमा लेना पड़ता है।
  • इन्फ्लेशन एडजस्टमेंट – लंबे समय के लोन में महँगी वस्तुओं की कीमत बढ़ने को ध्यान में रखा जाता है।

इन सबको मिलाकर ही कुल क्रेडिट लागत बनती है। अगर एक कंपनी को ₹100 करोड़ का लोन चाहिए और ब्याज 7% है, तो सिर्फ ब्याज से ₹7 करोड़ बनेंगे, पर अगर प्रोसेसिंग फीस 1% और अन्य चार्ज 0.5% जोड़ें तो कुल लागत 8.5% हो जाएगी।

क्रेडिट लागत का बाजार पर प्रभाव

जब कंपनियों की क्रेडिट लागत बढ़ती है, तो उनका निवेश खर्च भी बढ़ता है। इसका सीधा असर शेयर कीमतों पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में Ola Electric की ब्लॉक डील में ₹731 करोड़ की डील हुई। इस डील में शेयर की औसत कीमत पिछले बंद मूल्य से 4% नीचे थी, यानी बाजार ने अनुमान लगाया कि कंपनी की क्रेडिट लागत बढ़ेगी और इसलिए शेयर की कीमत घटेगी। इस तरह की खबरें निवेशकों को चेतावनी देती हैं और ऑर्डर फ्लो बदल जाता है।

इसी तरह जब RBI की रेट में बदलाव होता है, तो सभी लोन की लागत बदलती है। अगर ब्याज दर घटे, तो वेंचर कैपिटल या स्टार्ट‑अप्स के लिए फंडिंग सस्ता हो जाता है, और शेयर बाजार में सकारात्मक रुचि दिखती है। दूसरी ओर, रेट बढ़ने से बैंक लोन महंगे हो जाते हैं, कंपनियों के प्रोजेक्ट फंडिंग पर दबाव बढ़ता है और शेयर कीमतें नीचे जा सकती हैं।

क्रेडिट लागत को समझने से आप निवेश की सही दिशा तय कर सकते हैं। अगर आप देख रहे हैं कि किसी कंपनी की रिपोर्ट में लोन पर अधिक चार्ज या नई डिबेंचर की घोषणा है, तो इसका मतलब हो सकता है कि उसके खर्च में बढ़ोतरी होगी और मौजूदा शेयरधारकों को नुकसान हो सकता है। इसी कारण से वित्तीय समाचार पढ़ते समय ‘क्रेडिट लागत’ शब्द पर ध्यान देना फायदेमंद रहता है।

सार में, क्रेडिट लागत सिर्फ एक अक्षर नहीं, बल्कि वह खर्च है जो आपके पैसे को उधार लेने पर अतिरिक्त बनता है। इसे जानकर आप कंपनी की वित्तीय स्थिति, शेयर बाजार के मूवमेंट और अपने निवेश के जोखिम को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। अगली बार जब आप किसी लोन या ब्लॉक डील की खबर पढ़ें, तो ‘क्रेडिट लागत’ पूछना ना भूलें – इससे आपको सही फैसला लेने में मदद मिलेगी।

Axis बैंक के शेयर में 6% गिरावट: असुरक्षित खंड की तनाव और क्रेडिट लागत में बढ़ोतरी कारण

Axis बैंक के शेयर में 6% गिरावट: असुरक्षित खंड की तनाव और क्रेडिट लागत में बढ़ोतरी कारण

Axis बैंक के शेयर में 6% की बड़ी गिरावट देखी गई, जो लगातार पांच दिनों में 11% हो गई। इसका मुख्य कारण असुरक्षित खंड का तनाव और जून तिमाही में बढ़ी क्रेडिट लागत है। इस गिरावट ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है और विश्लेषकों ने इसके कारण अपने आय अनुमानों और लक्ष्य कीमतों में बदलाव किया है।

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