जब महात्मा गांधी, 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली भारतीय नेता, जिन्होंने भारत को आज़ादी दिलाने के लिए अहिंसात्मक प्रतिरोध अपनाया. बापू के बारे में बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि उन्होंने अहिंसा, न्याय के लिए हिंसा से दूर राह को मुख्य उपकरण बनाया। इसी के तहत उन्होंने सत्याग्रह, सच्चाई पर आधारित गैर‑हिंसात्मक आंदोलन का प्रयोग किया, जो बाद में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, ब्रिटिश राज से मुक्त भारत का संघर्ष की आत्मा बन गया।
महात्मा गांधी ने अपने जीवन में तीन प्रमुख सिद्धांतों को जोड़ा: स्वदेशी, स्वराज और सार्वभौमिक प्रेम। स्वदेशी ने वस्तुओं को विदेशों पर निर्भर रहने से बचाया, स्वराज ने जनता को आत्मनिर्णय की शक्ति दी, और सार्वभौमिक प्रेम ने सभी धर्म‑समुदायों को एक साथ रहने की राह दिखायी। ये सिद्धांत सिर्फ इतिहास की पन्नों में नहीं रह गये; आज के स्टार्ट‑अप, पर्यावरण आंदोलन और सामाजिक न्याय के मुक़ाबलों में इनका प्रतिध्वनि सुनाई देता है।
गाँव‑से‑गाँव यात्रा के दौरान गांधी ने लाखों लोगों को अध्यात्मिक और आर्थिक दोहराव की जरूरत समझायी। उन्होंने खाद्य उत्पादन को स्थानीय बनाकर आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया, जिससे किसानों को कम लागत में उच्च आय मिली। उसी समय उन्होंने न्याय के लिए अहिंसा को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया, जिससे सिविल अधिकार आंदोलनों ने शक्ति के संतुलन को बदला। इस प्रकार गांधी के विचार न केवल ब्रिटिश सरकार को चुनौती देते रहे, बल्कि भारत के सामाजिक‑आर्थिक ताने‑बाने को भी नई दिशा देते रहे।
समकालीन भारत में भ्रष्टाचार, पर्यावरणीय संकट और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए गांधी के सिद्धांत फिर से प्रासंगिक हो गए हैं। कई युवा सामाजिक उद्यमी अब स्वदेशी‑उत्पादों को विकसित कर वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, जबकि NGOs गाँवा‑आधारित स्थायी खेती को बढ़ावा दे रही हैं। साथ ही, अहिंसात्मक विरोध ने हाल के किसान आंदोलन और छात्र प्रदर्शन में प्रमुख भूमिका निभायी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि गांधी की रणनीति अभी भी प्रभावी है।
जो लोग गांधी के जीवन से प्रेरणा लेना चाहते हैं, उनके लिए कई आसान कदम हैं: रोज़ कम से कम एक कचरा कम करना, स्थानीय बाजार से खरीदारी करना, और सामाजिक मुद्दों पर शांतिपूर्ण वार्ता में भाग लेना। ये छोटे‑छोटे कार्य बड़े परिवर्तन की नींव बनाते हैं, जैसे गांधी ने अपने जीवन में दिखाया था।
हमें गर्व है कि इस टैग पेज पर गांधी‑संबंधित विभिन्न समाचार, विश्लेषण और विचार संग्रहीत हैं। नीचे आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों – राजनीति, खेल, व्यवसाय और मनोरंजन – में गांधी के विचारों की परछाई अब भी महसूस होती है। इन लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ इतिहास को याद करेंगे, बल्कि वर्तमान में उनके विचारों को कैसे लागू किया जा सकता है, इसका भी अनुभव करेंगे।
आगे की सूची में आप पाएँगे उन समाचारों की बहुलता, जो महात्मा गांधी की विरासत को विभिन्न रूपों में दर्शाते हैं – चाहे वह राजनैतिक फैसले हों, सामाजिक अभियानों की कहानियाँ, या फिर व्यवसायिक रणनीतियों में नैतिकता की झलक। तो चलिए, इस समृद्ध संग्रह में डुबकी लगाते हैं और देखते हैं कि आज के भारत में गांधी के विचार कितनी जीवंत हैं।
2 अक्टूबर 2025 को गांधी जयंती के 156वें जन्मदिन पर भारत ने डिजिटल बधाइयों, उद्धरणों और व्यवसाय‑मित्र संदेशों से जश्न मनाया, जिससे अहिंसा के विचार नई पीढ़ी तक पहुंचे।