जब चुनाव आते हैं तो अक्सर सुनते हैं "टर्नआउट" शब्द। इसका मतलब सिर्फ यह नहीं कि कितने लोग मतदान के लिए लाइन में खड़े हुए, बल्कि ये दर्शाता है कि कुल योग्य मतदाताओं में से कितना प्रतिशत वोट डालता है। अगर टर्नआउट कम हो तो लोकतंत्र की आवाज़ कमजोर पड़ती है। इसलिए समझना ज़रूरी है कि इसे बढ़ाने से हमारे देश को क्या फ़ायदा होता है।
सरल शब्दों में कहें तो टर्नआउट = (वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या ÷ कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या) × 100। अगर आपका शहर 1 मिलियन पंजीकृत वोटर रखता है और 600,000 ने मतदान किया, तो टर्नआउट 60% होगा। यह प्रतिशत जितना ऊँचा, चुनाव उतना ही भरोसेमंद माना जाता है क्योंकि ज्यादा लोग अपनी राय दे रहे होते हैं।
कई बार लोग वोट नहीं देते क्योंकि उन्हें जानकारी की कमी होती है या मतदान केंद्र दूर रहता है। कुछ लोग यह मानते हैं कि उनका एकल वोट फर्क नहीं डालता, इसलिए उदासीन हो जाते हैं। मौसम, काम‑काम के कारण भी कई वोटर रुकावटें बनती हैं। इन सब को समझना मदद करता है सही समाधान निकालने में।
उदाहरण के तौर पर 2024 की राष्ट्रीय चुनाव में कुछ राज्यों में टर्नआउट 55% से नीचे गिर गया था, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह अक्सर 70% से ऊपर रहा। इसका कारण वहाँ स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियानों का चलना और मतदान केंद्रों का आसान पहुँच होना है।
पहला कदम है सही जानकारी देना। अगर लोग जानेंगे कि वोट कैसे डालें, कौन से दस्तावेज़ चाहिए और कब‑कहाँ जाना है तो डर कम होगा। दूसरा, मतदान केंद्रों को घर के पास बनाना या मोबाइल वॉटरिंग यूनिट्स लगाना मददगार साबित होता है। तीसरा, युवा वर्ग को आकर्षित करने के लिये कॉलेज‑कॉम्प्लेक्स में विशेष कैंपेन चलाए जा सकते हैं।
एक और असरदार तरीका है सोशल मीडिया पर छोटे‑छोटे वीडियो बनाकर समझाना कि आपका एक वोट कैसे सरकार की नीति बदल सकता है। अक्सर लोग बड़े नेताओं को ही सुनते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्दों का भी उतना ही महत्व होता है। इसलिए अपने पड़ोस में चर्चा शुरू करें, दोस्तों को साथ लेकर मतदान स्थल तक चलें।
सरकारी विभाग भी कुछ सुविधाएँ दे सकते हैं जैसे कि देर रात तक खुला मतदान केंद्र या एबीसी (अर्ली बर्ड) वोटिंग स्लॉट। यह खासकर काम‑काजी वर्ग के लिए फायदेमंद रहेगा। जब लोग देखेंगे कि सुविधा है तो रुकावटें कम होंगी और टर्नआउट बढ़ेगा।
एक छोटा सा सुझाव – अगर आप वोट डालने जा रहे हैं तो अपना पहचान पत्र, वोटर आईडी साथ रखें और जल्दी पहुँचें। भीड़ के समय में थोड़ा इंतजार होगा लेकिन अंत में आपका वोट गिनती में आएगा और लोकतंत्र मजबूत रहेगा।
तो अगली बार जब चुनाव का एलबम आए, सिर्फ़ खबरों को नहीं पढ़िए, खुद को तैयार करिए और अपने हिस्से की आवाज़ बनिए। हर वोट मायने रखता है, और आपका एक छोटा कदम बड़ा बदलाव ला सकता है।
भारत के आम चुनाव 2024 के छठे चरण में 58 सीटों पर मतदान हुआ, जिसमें 61.2% मतदान दर दर्ज की गई। दिल्ली, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में हीटवेव के कारण चुनाव आयोग ने अतिरिक्त सावधानियों की हिदायत दी। सबसे अधिक मतदान ओडिशा में 79.47% और सबसे कम उत्तर प्रदेश में 54.03% रहा।