अगर आप भी आसमान में छिपे इस अद्भुत दृश्य को मिस नहीं करना चाहते, तो आपका इंतजार खत्म हुआ। 2025 में एक बड़े सूर्यग्रहण का आयोजन है और हम आपको बता रहे हैं कब, कौन‑से हिस्से देखेंगे और इसे सुरक्षित कैसे देखें। बिना झंझट के थोडा‑बहुत तैयार हो जाएँ, तो आप इस कॉस्मिक शो का पूरा मज़ा ले सकेंगे।
सूर्यग्रहण 2025 14 अक्टूबर को होगा। यह एक कुल सूर्यग्रहण है, यानी सौर सतह पूरी तरह से छिप जाएगी। भारत के कई हिस्से इस ग्रहण को पूर्णता के करीब देख पाएँगे, जबकि कुछ जगहों पर केवल अंशीय सूर्यग्रहण दिखेगा। प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बंगलौर में लगभग 70‑80% कवरेज होगा, जिसका मतलब है कि सूर्य बिल्कुल धुंधला नहीं होगा, पर काफी कम रोशनी रहेगी। उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में ग्रहण देर से शुरू होगा, इसलिए समय‑सारणी को स्थानीय समय के हिसाब से चेक करना जरूरी है।
सूर्य को सीधे देखना कभी भी आँखों के लिए ठीक नहीं रहता, खासकर जब वह आंशिक या कुल ग्रहण हो रहा हो। सबसे आसान तरीका है विशेष सूर्यग्रहण चश्मा इस्तेमाल करना, जो यूवी और इन्फ्रारेड से बचाता है। अगर आपके पास चश्मा नहीं है, तो आप घर पर बने प्रोजेक्शन पद्धति से ग्रहण देख सकते हैं—एक साफ़ कागज़ या पिनहोल स्क्रीन बनाकर सूर्य का इमेज देखिए। टिंटेड सौर फ़िल्टर वाले टेलीस्कोप या कैमरा लेंस भी काम आते हैं, पर इन्हें सही ढंग से फिट करना ज़रूरी है। कैमरों या मोबाइल फ़ोन से फोटो लेने से पहले अपने उपकरण को सूर्य के प्रति फ़िल्टर लगाकर रखें, नहीं तो सेंसर को नुकसान हो सकता है।
ग्रहण देखते समय दो चीज़ें याद रखें: एक तो तुरंत आंखों को सूर्य से न हटाएँ, विशेष चश्मा पहने या प्रोजेक्शन देखें; दूसरा, बच्चों को भी यही सुरक्षा उपाय सीखाएँ। अगर कहीं भी चश्मा के सफ़ेद हिस्से पर खरोंच या पिंजरे के निशान दिखें, तो उसे फेंक दें, नई खरीदें।
सूर्यग्रहण के दौरान सोशल मीडिया पर अक्सर नकली वीडियो और फोटोज़ आ जाते हैं। इसलिए, अगर आप लाइव स्ट्रीम देखना चाहते हैं, तो भरोसेमंद चैनल जैसे ISRO या प्रमुख समाचार पोर्टल्स का चयन करें। वे वास्तविक टाइम अपडेट देते हैं और कभी‑कभी वैज्ञानिक टिप्पणी भी जोड़ते हैं, जिससे आपके समझ में गहराई आएगी।
कुल मिलाकर, सूर्यग्रहण 2025 एक शानदार अनुभव है, बस थोड़ा‑बहुत तैयारी और सुरक्षित उपायों से आप इस दृश्य को पूरी तरह से एन्जॉय कर सकते हैं। तैयार हो जाएँ, अपना चश्मा निकालें और आसमान की ओर देखें—ये एक बार का मौका है, और इसे कभी नहीं भूलना चाहिए।
21 सितंबर को होने वाला आधा सूर्यग्रहण, जो उत्तरफल्गुनी नक्षत्र में कुंभ राशि में घटित होगा, वैदिक ज्योतिष के अनुसार लोगों की कुंडली पर गहरा असर डालता है। इस घटना का स्वास्थ्य, वित्त और रोज़मर्रा की आदतों पर खास प्रभाव पड़ने की बात कही गई है। विभिन्न राशियों के लिए अलग‑अलग लाभ‑हानि की भविष्यवाणी की गयी है, जबकि सभी से व्यावहारिक बदलावों की अपेक्षा की गई है। भारत में यह गर्भाणु नहीं दिखेगा, लेकिन ऊर्जा का असर महसूस किया जा सकता है।