30 जनवरी, 2025 को एफबीआई निदेशक के रूप में काश पटेल की पुष्टि सुनवाई ने अमेरिकी राजनीति और कानून के क्षेत्र में हलचल मचा दी। उनकी नियुक्ति के संदर्भ में कई सवाल उठे, जो उनकी एफबीआई की स्वतंत्रता को बरकरार रखने की क्षमता और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रति उनकी वफादारी पर केंद्रित थे।
कई मौकों पर काश पटेल ने खुलेआम ट्रम्प का समर्थन किया है। उनके दावे के अनुसार, वे मार-ए-लागो में उन विवादित दस्तावेजों के खुलासे के समय मौजूद थे, जिन्हें ट्रम्प ने अपने प्रशासन के दौरान गोपनीयता हटाकर सार्वजनिक किया था। इसके अलावा, पटेल ने ट्रम्प और जनवरी 6 के आरोपियों के साथ एक संगीत रिकॉर्डिंग भी जारी की, जिसे कई आलोचकों ने उनकी निष्ठा के प्रतीक के रूप में देखा।
अनुपस्थिति और विवादों से भरी यह सुनवाई पटेल की नियुक्ति से जुड़े कई गहरे प्रश्नों को जन्म देती है। पटेल ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प की हार को स्वीकार करने से इंकार कर दिया और यह बताने से भी बचते रहे कि अगर उन्हें कोई अनैतिक या असंवैधानिक आदेश दिया जाता है, तो वे क्या करेंगे। इस पर पटेल ने संकेत दिया कि वे 'कानून का पालन करेंगे', लेकिन उनके कथनों को लेकर अनेक प्रश्नचिन्ह बने रहे।
सुनवाई में सेन. क्रिस कुन जैसे वरिष्ठ नेताओं ने पटेल से तीखे सवाल पूछे, जिनमें उनके पूर्व के वक्तव्य शामिल थे। ट्रम्प के आलोचनात्मक पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की पटेल की योजना भी चर्चा का विषय बनी रही। पत्रकारों को उनके ‘शत्रुओं की सूची’ में शामिल करना भी उनकी निष्पक्षता पर प्रश्न खड़े करने वाला है।
पटेल के पूर्व लेखन और उनकी ट्रम्प के प्रति वफादारी की बयानबाजी को लेकर जनमानस में चिंता व्याप्त है। मान्यता प्राप्त लेखक और पूर्व अमेरिकी अटॉर्नी बारबरा मैक्वाड के अनुसार, काश पटेल के तहत एफबीआई की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है। एफबीआई के डायरेक्टर के रूप में उनकी नियुक्ति, जिनके निर्णय साक्ष्य और कानून के बजाय निष्ठा पर आधारित हो सकते हैं, लोकतंत्र की नींव को हिला सकती है।
एफबीआई का इतिहास भी इस मामले को और पेचीदा बनाता है। अतीत में जे. एडगर हूवर के तहत एफबीआई ने नागरिक अधिकार आंदोलन और विरोधी समूहों पर अवांछित जासूसी की थी, कोइनटेलप्रोग्रैम जैसी योजनाओं द्वारा पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया था। ऐसे में एक नए निदेशक के विचार और कार्य इस संगठन की दिशा को पूरी तरह बदल सकते हैं।
काश पटेल की सुनवाई ने जनता के ध्यान को उस महत्वपूर्ण प्रश्न पर केंद्रित कर दिया कि क्या वे एफबीआई के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन में सक्षम होंगे। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या वे अतीत की गलतियों से सबक लेकर नए सिरे से एस संगठन को संभाल सकेंगे। जनता और नेताओं की नजर आगामी दिनों में पटेल और एफबीआई पर टिकी रहेगी।
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