राज्यसभा में एनडीए को झटका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को एक बड़ा झटका लगा है। चार मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति के बाद एनडीए राज्यसभा में बहुमत से पीछे हो गई है। मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी के सेवानिवृत्त होने से भाजपा की सीटें अब 86 पर आ चुकी हैं और एनडीए की कुल सीटें 101 पर हो गई हैं। यह संख्या बहुमत के लिए आवश्यक 113 सीटों से काफी कम है।
भाजपा की राज्यसभा में स्थिति
राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं और बहुमत के लिए कम से कम 113 सीटें चाहिए होती हैं। एनडीए की घटती सीटों के कारण भाजपा को अब अन्य गैर-एनडीए पार्टियों पर निर्भर रहना पड़ेगा। इनमें AIADMK और YSR कांग्रेस जैसी पार्टियां प्रमुख हैं। यह नई स्थिति भाजपा के लिए कई विधेयकों के पास करवाने में चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
वर्तमान में, विपक्षी धड़े की अगुवाई कांग्रेस कर रही है और उनके पास 87 सीटें हैं। यह बात साफ है कि भाजपा को अब राज्यसभा में अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए गठबंधन की राजनीति अधिक सुदृढ़ करनी होगी।
आने वाले चुनावों का महत्व
आगामी समय में महाराष्ट्र, हरियाणा और तेलंगाना में चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में भाजपा की कामयाबी ही तय करेगी कि वह राज्यसभा में बहुमत हासिल कर सकती है या नहीं। महाराष्ट्र, हरियाणा और तेलंगाना के चुनाव एनडीए के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि ये राज्य उन 20 खाली सीटों में से कुछ को भरने का काम कर सकते हैं जिन पर चुनाव इस वर्ष होने की संभावना है।
नीतिगत संधार और समझौतों की संभावना
भाजपा की राज्यसभा में घटती संख्या के कारण उसे छोटे दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। ऐसे में सियासी साथियों के साथ नीतिगत मुद्दों पर समझौते और संधार करना भाजपा के लिए अनिवार्य हो जाएगा। यह स्पष्ट है कि नीतियों और विधेयकों पर आमसहमति बनानी होगी, खासकर जब भाजपा को विधायिकाओं में आवश्यक बहुमत प्राप्त करने के लिए छोटे दलों का समर्थन चाहिए। इस परिदृश्य में, भाजपा को नई नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन में कई चैलेंज और रुकावटें आ सकती हैं।
अंत में, राज्यसभा में राजनीतिक समीकरण बदलने के साथ ही एनडीए सरकार को कई अहम फैसले लेने के अलावा, अपनी नीति और रणनीति में परिवर्तन करना आवश्यक होगा। राज्यसभा में बहुमत हासिल करना और मजबूत सियासी गठबंधन बनाए रखना अब भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
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