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राज्यसभा में एनडीए की संख्या में गिरावट, 4 मनोनीत सदस्य हुए सेवानिवृत्त

Uma Imagem 10 टिप्पणि 16 जुलाई 2024

राज्यसभा में एनडीए को झटका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को एक बड़ा झटका लगा है। चार मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति के बाद एनडीए राज्यसभा में बहुमत से पीछे हो गई है। मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी के सेवानिवृत्त होने से भाजपा की सीटें अब 86 पर आ चुकी हैं और एनडीए की कुल सीटें 101 पर हो गई हैं। यह संख्या बहुमत के लिए आवश्यक 113 सीटों से काफी कम है।

भाजपा की राज्यसभा में स्थिति

राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं और बहुमत के लिए कम से कम 113 सीटें चाहिए होती हैं। एनडीए की घटती सीटों के कारण भाजपा को अब अन्य गैर-एनडीए पार्टियों पर निर्भर रहना पड़ेगा। इनमें AIADMK और YSR कांग्रेस जैसी पार्टियां प्रमुख हैं। यह नई स्थिति भाजपा के लिए कई विधेयकों के पास करवाने में चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

वर्तमान में, विपक्षी धड़े की अगुवाई कांग्रेस कर रही है और उनके पास 87 सीटें हैं। यह बात साफ है कि भाजपा को अब राज्यसभा में अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए गठबंधन की राजनीति अधिक सुदृढ़ करनी होगी।

आने वाले चुनावों का महत्व

आगामी समय में महाराष्ट्र, हरियाणा और तेलंगाना में चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में भाजपा की कामयाबी ही तय करेगी कि वह राज्यसभा में बहुमत हासिल कर सकती है या नहीं। महाराष्ट्र, हरियाणा और तेलंगाना के चुनाव एनडीए के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि ये राज्य उन 20 खाली सीटों में से कुछ को भरने का काम कर सकते हैं जिन पर चुनाव इस वर्ष होने की संभावना है।

नीतिगत संधार और समझौतों की संभावना

भाजपा की राज्यसभा में घटती संख्या के कारण उसे छोटे दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। ऐसे में सियासी साथियों के साथ नीतिगत मुद्दों पर समझौते और संधार करना भाजपा के लिए अनिवार्य हो जाएगा। यह स्पष्ट है कि नीतियों और विधेयकों पर आमसहमति बनानी होगी, खासकर जब भाजपा को विधायिकाओं में आवश्यक बहुमत प्राप्त करने के लिए छोटे दलों का समर्थन चाहिए। इस परिदृश्य में, भाजपा को नई नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन में कई चैलेंज और रुकावटें आ सकती हैं।

अंत में, राज्यसभा में राजनीतिक समीकरण बदलने के साथ ही एनडीए सरकार को कई अहम फैसले लेने के अलावा, अपनी नीति और रणनीति में परिवर्तन करना आवश्यक होगा। राज्यसभा में बहुमत हासिल करना और मजबूत सियासी गठबंधन बनाए रखना अब भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।

10 टिप्पणि

  1. RUPESH BUKE
    RUPESH BUKE
    जुलाई 17 2024

    अब तो बहुमत के लिए दूसरों पर भरोसा करना पड़ेगा भाजपा को। ये नया खेल शुरू हो गया है।

  2. Chirag Kamra
    Chirag Kamra
    जुलाई 19 2024

    yo yrr ab toh bhaiya ka kamaal hai 🤯 4 log nikal gaye aur sab kuch hil gaya... ab toh AIADMK aur YSR ki baat hi khatam hogi 😅

  3. Ramesh Velusamy
    Ramesh Velusamy
    जुलाई 20 2024

    ये सिर्फ एक झटका नहीं बल्कि एक अलर्ट है। अगर भाजपा अभी भी अकेले चलने की कोशिश करेगी तो आगे बहुत बड़ी गलतियां होंगी। अब तो बातचीत करनी होगी।

  4. Sushil Kallur
    Sushil Kallur
    जुलाई 22 2024

    राज्यसभा में बहुमत का मतलब सिर्फ जीतना नहीं होता। ये एक अवसर है कि हम विविधता को समझें और दूसरों की आवाज़ सुनें। ये लोकतंत्र का असली रूप है।

  5. Chandni Solanki
    Chandni Solanki
    जुलाई 22 2024

    महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव बहुत जरूरी हैं 😊 अगर भाजपा वहां जीत जाती है तो फिर से बहुमत की बात आसान हो जाएगी 💪❤️

  6. Nitin Garg
    Nitin Garg
    जुलाई 23 2024

    हर बार जब बहुमत खत्म होता है तो लोग कहते हैं गठबंधन बनाओ। पर जब बहुमत होता है तो दूसरों को नजरअंदाज़ कर देते हो। ये दोहरा मानक है।

  7. Seema Lahiri
    Seema Lahiri
    जुलाई 25 2024

    सोचो अगर ये चारों लोग अभी भी वहां होते तो क्या होता? क्या वो विधेयक नहीं गुजरते थे? ये सिर्फ एक आंकड़ा है बाकी सब कुछ तो बातचीत और समझ से होता है। लोग इतने डर रहे हैं जैसे देश खत्म हो गया हो।

  8. Jay Patel
    Jay Patel
    जुलाई 25 2024

    जब तक भाजपा अपने आप को भगवान नहीं समझेगी तब तक ये सब चलता रहेगा। लोगों को बहुमत नहीं चाहिए बल्कि नेतृत्व चाहिए।

  9. fathimah az
    fathimah az
    जुलाई 25 2024

    इस संदर्भ में राज्यसभा का संवैधानिक भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। बहुमत के बजाय नीतिगत समझौते और विधायिक समीक्षा की प्रक्रिया को मजबूत करने की आवश्यकता है। ये एक अवसर है लोकतंत्र को गहराई से समझने का।

  10. Sohini Baliga
    Sohini Baliga
    जुलाई 26 2024

    इस वक्त राजनीति में नीतिगत समझौते की जरूरत है न कि अकेले चलने की। भाजपा को अपनी रणनीति को बदलना होगा और दूसरों के साथ सहयोग करना होगा। ये नए युग की आवश्यकता है।

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