नवीन पटनायक पर बीजेपी की टिप्पणी के लिए वो खुद जिम्मेदार: खरगे का बयान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में एक चुनावी रैली में कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से मिली कमीनेपरक टिप्पणियों के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। नवीन पटनायक पर बीजेपी द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों ने राजनीति की गर्मी को और बढ़ा दिया है। खरगे का कहना है कि बीजू जनता दल (बीजेडी) और बीजेपी पहले एक ही मंच पर थे, जिनका समर्थन एक-दूसरे को मिलता रहा है, लेकिन अब, उनके अलग होने के बाद, वे वही लोग, जो एक समय पर पटनायक की सराहना करते थे, अब उनका मजाक उड़ा रहे हैं।
खरगे ने अपने बयान में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति सहयोगी रुख और समर्थन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पटनायक को वर्तमान स्थिति का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने मोदी का समर्थन किया था। बीजेपी के नेताओं द्वारा की गई नवनीत पटनायक की शारीरिक स्थिति और उम्र पर लगाई गई अप्रिय टिप्पणियां उन लोगों की मानसिकता को दर्शाती हैं, जो एक समय पर पटनायक की तारीफ़ों के पुल बांधा करते थे।
नरेंद्र मोदी पर भी की तीखी टिप्पणी
खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तीखा हमला बोला और पटनायक को चेतावनी दी कि वे भविष्य में नरेंद्र मोदी पर भरोसा न करें। उन्होंने पटनायक को सलाह दी कि वे अपनी उम्र और स्वास्थ्य की परवाह किए बिना अपना काम जारी रखें क्योंकि उमर कभी भी कार्यक्षमता और प्रतिबद्धता का मापक नहीं होती।
खरगे ने उम्मीद जताई कि पटनायक लंबा और स्वस्थ जीवन व्यतीत करेंगे और उन्हें सलाह दी कि वे उन लोगों से सावधान रहें जो एक बार उनके दोस्त थे लेकिन अब उनके खिलाफ खड़े हैं। खरगे ने अपनी रैली में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि यह राजनीतिक परिदृश्य का एक सामान्य हिस्सा है जहां पुराने सहयोगी तोड़ जाते हैं और नए दुश्मन बनते हैं।
भोलेपन का परिणाम
खरगे का यह बयान यह दर्शाता है कि पटनायक का अपने पुराने सहयोगियों पर अत्यधिक विश्वास उनके लिए घातक साबित हो सकता है। आज की राजनीति में, दोस्ती और सहयोग का आधार तेजी से बदलता है और इसमें कोई स्थायित्व नहीं होता। पुराने साथी नए समय में विरोधी बन जाते हैं और नए सहयोग की तलाश में रहते हैं।
खरगे ने नवीन पटनायक के साथ-साथ जनता को भी सजग किया कि वे राजनीति में किसी भी प्रकार के समर्थन और विरोध के पीछे छिपे मूल उद्देश्यों को समझें। उन्होंने कहा कि राजनीति में स्थायी मित्रता और शत्रुता जैसी कोई चीज़ नहीं होती। यह केवल समय और परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि कब कौन किसका समर्थन करता है और कब कौन किसका विरोध करता है।
नवीन पटनायक के साथ यह घटनाक्रम भी बताता है कि राजनीति में व्यक्तिगत रिश्तों को समझना और संभालना कितना महत्वपूर्ण है। खुद को और अपनी पार्टी को सुरक्षित रखने के लिए नेताओं को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं
सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं भी इस मुद्दे पर बंटी हुई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि खरगे का बयान सही है और पटनायक ने अपनी स्थिति का खुद ही निर्माण किया है। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि बीजेपी के नेताओं की ऐसी टिप्पणियां अत्यंत अनुचित हैं और किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए।
जो भी हो, इस पूरे प्रकरण ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है। यह देखना बाकी है कि नवीन पटनायक इस स्थिति का सामना कैसे करेंगे और क्या वे अपने पुराने सहयोगियों से फिर से मित्रता बनाने की कोशिश करेंगे या नहीं।
इस मामले का आगे क्या परिणाम होगा, यह राजनीति के पटल पर जनता को भविष्य में देखने को मिलेगा। हालांकि, यह स्थिति यह स्पष्ट करती है कि राजनीति में किसी भी प्रकार के रिश्तों को हमेशा नई दृष्टि से देखना चाहिए और किसी पर भी बेवजह भरोसा नहीं करना चाहिए।
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