पुणे पोर्शे केस: किशोर के ब्लड रिपोर्ट में हेराफेरी के आरोप में दो डॉक्टर और शवगृह कर्मचारी गिरफ्तार

मई 29 2024

पुणे पोर्शे केस: ब्लड रिपोर्ट हेराफेरी के आरोप में गिरफ्तारियां

हाल ही में पुणे में एक दिलचस्प लेकिन चिंताजनक मामला सामने आया है, जिसमें दो डॉक्टर और एक शवगृह कर्मचारी को एक किशोर की ब्लड रिपोर्ट में हेराफेरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस मामले से जुड़े तमाम पहलुओं की जांच करते हुए पुलिस ने जैसे ही इस हेराफेरी का पर्दाफाश किया, यह खबर तेजी से सुर्खियों में आ गई।

घटना की पृष्ठभूमि

मामला 19 मई की रात का है, जब एक 17 वर्षीय किशोर ने अपनी पोर्शे कार के साथ एक दर्दनाक दुर्घटना कर दी। इस दुर्घटना में दो निर्दोष लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे। शुरुआती जांच में यह पाया गया कि किशोर शराब के नशे में था। इस साक्ष्य को पकड़ा जाना किशोर के लिए और उसके परिवार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता था।

रिपोर्ट में हेराफेरी का षड्यंत्र

इस कठिन परिस्थिति से बचने के लिए किशोर के पिता, जो कि शहर के जाने-माने बिल्डर हैं, ने एक मध्यस्थ को अस्पताल के स्टाफ से संपर्क करने का काम सौंपा। मामला कसने के बाद, पुणे क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया कि ससून जनरल अस्पताल के डॉक्टर अजय तवारे और डॉक्टर श्रीहरि हालनोर के साथ शवगृह कर्मचारी अतुल घाटकांबले ने मिलकर ब्लड सैंपल को बदलने का किया।

इस हेराफेरी को अंजाम देने के लिए डॉक्टर हालनोर को डॉक्टर तवारे द्वारा 3 लाख रुपये दिए गए। इस रकम ने इस आपराधिक षड्यंत्र को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डीएनए टेस्ट से खुलासा

पुलिस की चली गई चाल ठीक उस वक्त रंग लाई जब उन्होंने अलग-अलग अस्पतालों से सैंपल का मिलान किया। अंध अस्पताल से प्राप्त सैंपल और ससून अस्पताल के सैंपल का डीएनए टेस्ट कराया गया, जिसमें साफ-साफ हेराफेरी का खुलासा हुआ। एक सामान्य सैंपल मिलान में किशोर और उसके पिता की डीएनए समान थे, जबकि ससून अस्पताल के सैंपल में ऐसा नहीं था।

गिरफ्तारी और आगे की कार्यवाही

अब तक हुई जांच और सबूतों के आधार पर, डॉक्टर अजय तवारे, डॉक्टर श्रीहरि हालनोर और शवगृह कर्मचारी अतुल घाटकांबले को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनमें से सभी को 30 मई तक पुलिस हिरासत में रखा गया है। इसके अतिरिक्त, पुलिस ने इस मामले में रिश्वत देने, आपराधिक षड्यंत्र रचने, और जालसाजी के आरोप भी लगाए हैं।

इस हादसे और उसके बाद की गई हेराफेरी ने ना केवल न्याय के प्रति लोगों की उम्मीदों को चोट पहुंचाई है, बल्कि चिकित्सा पेशे की ईमानदारी और नैतिकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

आगे की राह

इस मामले में पुलिस की जांच अभी जारी है और जल्द ही किशोर के पिता, जो इस षड्यंत्र के मुख्य षड्यंत्रकारी माने जा रहे हैं, उनकी भी गिरफ्तारी की जाएगी। देखना होगा कि यह मामला न्याय के किस मोड़ पर जाकर समाप्त होता है।

नैतिकता पर सवाल

इस पूरी घटना ने चिकित्सा पेशे की नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या चिकित्सा पेशे में उल्लेखनीय सुधार की आवश्यकता है? क्या इस तरह के मामलों में न्यायसंगत कार्यवाही की जानी चाहिए? यह सारे सवाल समाज के विभिन्न तबकों में गम्भीर चर्चा का विषय बनने लगे हैं।

पाठकों से निवेदन

हमारे पाठक इस मामले पर अपनी राय कमेंट में दे सकते हैं। क्या आप मानते हैं कि इस तरह के मामलों को रोकने के लिए चिकित्सा पेशे में और कड़े नियम लागू होने चाहिए? क्या न्यायपालिका से तुरंत और सख्त कार्यवाही की अपेक्षा की जानी चाहिए?

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