दिल्ली में चुनाव आयोग के खिलाफ अभूतपूर्व विपक्षी एकजुटता
सोमवार को जैसे ही संसद मार्ग पर विपक्षी नेताओं की भीड़ उमड़ी, माहौल पूरी तरह गर्मा गया। कांग्रेस के राहुल गांधी की अगुवाई में शरद पवार, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव समेत करीब 300 से ज्यादा सांसद और कार्यकर्ता सीधे संसद भवन से चुनाव आयोग की ओर कूच कर गए। नेताओं के सिर पर सफेद टोपी थी, जिस पर 'SIR' और 'vote चोरी' को लाल क्रॉस से निशान लगाया गया था। हर तरफ नारे गूंज रहे थे—"संविधान बचाओ! वोट बचाओ!"
विपक्ष का रोष सिरे से चुनाव आयोग के उस SIR या 'स्पेशल इंटेंसिव रिविजन' अभियान पर केन्द्रित रहा, जिसे बिहार में शुरू किया गया है। उनका आरोप है कि इस कदम के जरिए सबसे कमजोर वर्ग—अल्पसंख्यकों और गरीबों—के वोटर कार्ड कटवाए जा रहे हैं। एक पोस्टर में चर्चा में आई 'मिन्ता देवी' का जिक्र छाया रहा, जिन्हें वोटर लिस्ट में 124 साल की पहली बार वोट डालने वाली दिखाया गया। विरोधी नेताओं ने तंज कसा—"क्या सचमुच चुनाव आयोग नें इतनी बड़ी भूल कर दी?"
सात जगह बैरिकेडिंग और नेताओं की गिरफ्तारी
जैसे-जैसे जुलूस आगे बढ़ा, दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग से चुनाव आयोग कार्यालय तक सात जगह बड़ी-बड़ी लोहे की बैरिकेडिंग लगा दी। नेताओं ने इन बैरिकेड्स को पार करने की पूरी कोशिश की। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव तो एक बैरिकेड कूदकर पार भी कर गए। महिला सांसद भी पीछे नहीं रहीं—कई संसदों ने बैरिकेडिंग पर चढ़कर मजबूत जज्बा दिखाया।
पुलिस ने आखिरकार दर्जनों नेताओं को हिरासत में ले लिया। जिनमें राहुल गांधी भी शामिल थे। सभी को पुलिस बसों में बैठाकर संसद स्ट्रीट पुलिस स्टेशन ले जाया गया। इस गिरफ्तारी के बाद भी समर्थकों के बीच नया जोश आया, वे और तेज आवाज़ में नारेबाजी करते रहे।
असली विवाद चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट के 'सफाई अभियान' को लेकर था। विपक्ष का सीधा आरोप—सत्तारूढ़ भाजपा के दबाव में आयोग लिस्ट से लाखों असली वोटरों के नाम काटना चाहता है, जिससे बिहार चुनाव में धांधली आसान हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि अब लोगों को वोटर लिस्ट में बने रहने के लिए जन्म प्रमाणपत्र, शैक्षिक प्रमाणपत्र जैसे मुश्किल दस्तावेज लाने होंगे, जो कि बिहार जैसे गरीब और कम साक्षरता वाले राज्य में असंभव सा है।
पार्लियामेंट के मानसून सत्र में भी इसी मुद्दे ने माहौल गरमाया हुआ है। 21 जुलाई से सत्र शुरू है और बार बार कार्यवाही ठप हुई—विपक्ष लगातार SIR पर चर्चा की मांग करता रहा है। निर्वाचन आयोग और भाजपा ने सारे आरोप खारिज किये—उनका कहना है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है, लेकिन विपक्ष किसी तरह पीछे हटने को तैयार नहीं। वे इसे भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद से जोड़ रहे हैं, और साफ-सुथरी वोटर लिस्ट की मांग कर रहे हैं।
इस घटनाक्रम ने दिल्ली में सत्ता और विपक्ष के बीच दूरियां एक बार फिर साफ कर दी हैं। बिहार चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में यह मुद्दा आने वाले हफ्तों में राजनीतिक पारे को और चढ़ा सकता है।
Jay Patel
अगस्त 14 2025SIR ka matlab kya hai? Kya ye kisi ke saamne jhukne ka naam hai? Vote chori ka matlab hai ki hum sabko apne haq se rok diya ja raha hai. Ye sirf ek list nahi, ye humara adhikar hai.
Abhi tak kisi ne kaha ki ye kaise karna hai, bas gussa dikhaya hai. Bhai, gussa karte rehna toh aasan hai, solution do kya?