23 सितंबर 2025 को न्यूयॉर्क में आयोजित 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA80) में राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपना परेड‑वाक (परिचयात्मक भाषण) दिया। भारत, चीन, रूस आदि प्रमुख देशों के नेताओं के साथ मंच पर रहकर उन्होंने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। उनके भाषण की मुख्य थीम "अमेरिका प्रथम" के तहत राष्ट्रीय हितों की रक्षा और बहुपक्षीय व्यवस्था का पुनः मूल्यांकन थी।
कैसे हुआ भाषण और क्या था मीडिया में अफवाहें
भाषण के दौरान ट्रम्प ने कई देशों की विदेश नीति पर सवाल उठाए, लेकिन उन्होंने किसी विशेष राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय संस्था को व्यक्तिगत रूप से अपमानित नहीं किया। फिर भी, कुछ सोशल‑मीडिया पोस्टों में यह दावा किया गया कि ट्रम्प ने मंच पर किसी प्रतिनिधि के प्रति असभ्य रवैया अपनाया। इन दावों की पुष्टि करने वाले किसी विश्वसनीय न्यूज़ एजेंसी या आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हुए।
संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक कार्यवाही रिकॉर्ड (UN Official Record) में भी ऐसे किसी टिप्पणी का उल्लेख नहीं है। कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं ने इस विषय पर रिपोर्ट नहीं किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मौजूदा सार्वजनिक दस्तावेज़ों में कोई अपमानजनक घटना दर्ज नहीं है।
वास्तविकता की जाँच और पत्रकारों की भूमिका
फैक्ट‑चेकिंग संस्थानों ने इस मुद्दे को लेकर विशेष जांच शुरू की। उन्होंने कहा कि बिना ठोस साक्ष्य के किसी भी बयान को अपमान के रूप में पेश करना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस दौरान कई देशों के दूतावासों ने भी कहा कि उन्होंने अपने प्रतिनिधियों के साथ कोई अनुचित व्यवहार नहीं देखा।
ऐसी परिस्थितियों में, समाचार संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे अफवाहों को बढ़ावा देने से बचें और केवल सत्यापित तथ्यों को ही प्रस्तुत करें। यह मामला दर्शाता है कि कभी‑कभी सामाजिक मंचों पर फैलने वाली झूठी खबरें वास्तविक घटनाओं को धुंधला कर देती हैं, जिससे जनता में ग़लतफहमी पैदा होती है।
संक्षेप में, उपलब्ध सभी स्रोत यह संकेत देते हैं कि ट्रम्प की UNGA80 में कोई अपमानजनक या नीचा करने वाला कोई कदम नहीं था। अभिलेखों, प्रेस रिलीज़ और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट सभी इस बात की पुष्टि करती हैं कि ऐसी कोई घटना नहीं घटी।
Pooja Kri
सितंबर 26 2025ट्रम्प के भाषण में कोई अपमान नहीं हुआ ये बात सही है पर उनकी अंदाज़ बाज़ी और टोन ऐसा लगता है जैसे सबको सबक सिखाने आए हों। अमेरिका प्रथम वाला नारा तो अब बहुत पुराना हो गया है। दुनिया अब एकल शक्ति के बजाय सहयोग की ओर बढ़ रही है।