जब धरती की सतह अचानक हिलती है तो वह भूकंप कहलाता है। आम लोगों को इसका एहसास बहुत तेज़ी से होता है—जैसे घर के फर्निचर झटके खाएँ या जमीन में डोलन सुने। इस पेज पर हम आसान भाषा में बताएँगे कि भूकंप क्यों होते हैं, उनका असर क्या हो सकता है और आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं।
सबसे बड़ा कारण टेक्टोनिक प्लेटों का हिलना‑जुलना है। धरती की सतह कई बड़ी-छोटी प्लेटों में बँटी हुई है, जो धीरे‑धीरे चलती रहती हैं। जब दो प्लेटें एक-दूसरे से टकराती या एक के नीचे दूसरी धंस जाती हैं, तो ऊर्जा जमा हो जाती है और अचानक रिहा होती है—यही भूकंप बनता है। कभी‑कभी ज्वालामुखी फटने या मानव निर्मित बड़े बोरहोल ड्रिलिंग से भी हल्की कंपन आती है।
भूकम्प की तीव्रता मापन के लिए रिच्टर स्केल इस्तेमाल किया जाता है, जहाँ 2‑3 छोटे झटके होते हैं और 7‑8 बहुत खतरनाक। भारत में अक्सर हिमालयी क्षेत्र और पूर्वोत्तर किनारे पर ये ज़्यादा होते हैं क्योंकि यहाँ कई प्लेटें मिलती‑जुलती रहती हैं।
सबसे पहले, घर में सुरक्षित जगह चुनिए—कुर्सी के नीचे या टेबल के नीचे बैठना अच्छा रहता है। दरवाजे की फ्रेम या दीवार के किनारे पर खड़े रहने से बचें क्योंकि इन हिस्सों में गिरने वाले सामान का खतरा होता है। अगर बाहर हैं तो खुली जगह, पेड़‑पौधे या इमारतों से दूर रहें।
भूकंप आने से पहले कुछ चीज़ें तैयार रखें: टॉर्च, बैटरियों वाला रेडियो, पानी की बोतल और प्राथमिक चिकित्सा किट। इनको एक आसान पहुँच वाले बक्से में रखिए ताकि आप जल्दी ले सकें। घर के फर्निचर को दीवार पर कसकर बांधना भी मददगार है; इससे शेल्फ या अलमारी गिर कर चोट नहीं पहुंचाएगी।
भूकंप के दौरान घबराएँ मत—शांत रहकर ऊपर की ओर देखें और सिर को हाथ से ढकें। यदि आप इमारत के अंदर हैं तो दरवाजे के फ्रेम में छिपने की बजाय मजबूत टेबल या बिस्तर के नीचे रहें। बाहर हों तो तुरंत खुली जगह पर भागें, किसी पुल या ऊँची बिल्डिंग के पास नहीं जाएँ।
भूकंप के बाद भी सावधानी बरतनी चाहिए। इमारत में दरार, लीक या आवाज़ सुनाई दे तो अंदर न जाएँ। बिजली और गैस की ट्यूबों को बंद कर दें, फिर विशेषज्ञ से जांच करवाएँ। यदि आप ज़रूरतमंद हैं तो अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर मदद करें—भारी वस्तुएँ हटाना या घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार देना बहुत फायदेमंद रहता है।
आखिर में याद रखें कि भूकंप अप्रत्याशित होते हैं, लेकिन तैयारी से नुकसान कम किया जा सकता है। अपने परिवार और दोस्तों के साथ एक छोटा‑छोटा अभ्यास कर लें—कौन कहाँ जाएगा, क्या ले जाना है। इससे वास्तविक स्थिति में सबको स्पष्ट दिशा मिलेगी और डर घटेगा।
7 जनवरी 2025 को तिब्बत के शिजांग स्वायत्त क्षेत्र में एक भयंकर 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र डिंगरी काउंटी में था, जो काठमांडू से 230 किमी उत्तर-पूर्व में है। भूकंप के परिणामस्वरूप 53 लोगों की मौत हुई और 62 घायल हुए। लगभग 57,000 लोग इसकी चपेट में आ गए। नेपाल के 13 जिलों में भी इसका असर महसूस किया गया।