भूकंप की गंभीरता और इसके प्रभाव
7 जनवरी 2025 की सुबह एक भयावह भूकंप ने तिब्बत के शिजांग स्वायत्त क्षेत्र को हिला कर रख दिया। इस भूकंप की तीव्रता 7.1 दर्ज की गई, जो मानवीय और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत गंभीर मानी जाती है। इसका केंद्र डिंगरी काउंटी में धरातल से केवल 10 किमी की गहराई में था, इसलिए इसके झटके बेहद मजबूत थे। भूकंप का धार जहां से उठता है, उसके करीब स्थित लोगों को अपनी जान और माल का खतरा सबसे अधिक होता है और इस क्षेत्र में निवास कर रहे हजारों लोगों को इसका सामना करना पड़ा।
अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, लगभग 4,000 लोग सीधे तौर पर गहरे झटकों की चपेट में आ गए, 15,000 लोगों ने बहुत ही प्रबल भूकंपीय गतिविधियों का सामना किया और करीब 57,000 लोग भी इसकी भयंकरता से बच नहीं सके। विशेषज्ञों ने कहा कि इस तरह के भूकंप से धरती की सतह पर उत्पन्न परिवर्तन और धक्कों का स्थानीय संरचनाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
उपकेंद्र और उसके आसपास के क्षेत्र का हाल
यह भूकंप डिंगरी काउंटी के पास आया, जो शिजांग स्वायत्त क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इस क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से दूरस्थ पहाड़ी बस्तियां बसी हुई हैं, जिनकी संरचनाएं आम तौर पर भूकंपीय दृष्टिकोण से कमजोर होती हैं। इसलिए, इस प्रकार के भूकंप का प्रभाव यहां अधिक विनाशकारी होता है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, कई घर ढह गए और बिजली की आपूर्ति ठप हो गई। हाई वोल्टेज पावर लाइनों के टूटने के कारण न केवल घरों में बल्कि औद्योगिक क्षेत्रों में भी इसकी व्यापक मारामारी पड़ी।
सरकार ने तुरंत स्थिति की गंभीरता को समझते हुए 1,500 से अधिक राहतकर्मियों को उसकी जिम्मेदारी सौंपी। यह राहत प्रयास प्रभावित क्षेत्रों में जीवन रक्षा सेवाओं और बुनियादी आवश्यकताओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर केंद्रित था।
नेपाल में भूकंप की असर और प्रतिक्रिया
नेपाल में यह भूकंप 230 किमी दूर स्थित काठमांडू और उसके आसपास के 13 जिलों तक भी महसूस किया गया। भूकंप के समय खासकर राजधानी में रह रहे लोगों ने भयंकर झटकों का अनुभव किया, जिसकी वजह से जनसंख्या में अनहोनी की आशंका बढ़ गई। हालांकि नेपाल के राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन प्राधिकरण (NDRRMA) ने इस बात की पुष्टि की कि नेपाल में कोई भी हताहत नहीं हुआ और न ही कोई गंभीर क्षति की खबरें अभीतक सामने आई हैं।
हालांकि इससे कई इमारतों में दरारें आ गईं और डर के कारण लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। हालातों को देखते हुए NDRRMA ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से हालांकि स्थितियों को नियंत्रित कर लिया। फिर भी, भविष्य में इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए पर्याप्त तैयारियां करने की आवश्यकता पर जोरों से विचार किया गया।
भूकंप के बाद के झटके और चेतावनी
इस भूकंप के बाद 4.1 या इससे अधिक तीव्रता के 13 और झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में और अधिक घबराहट बढ़ गई। वैज्ञानिक और भूवैज्ञानिक इस प्रकार के बाद के झटकों को सामान्य बताते हैं, परंतु वे हमेशा इस बात की चेतावनी देते हैं कि ऐसे झटके कई बार मूल भूकंप से भी अधिक नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। इसलिए, आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लोगों को सतर्क करने के लिए संदेश जारी किए गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन झटकों के चलते संभावित भू-स्खलन और भूस्खलन का खतरा भी बना रहता है। इसलिए प्रभावित क्षेत्रों में यात्रियों और निवासियों को उचित सावधानी बरतने और संचार उपकरणों के माध्यम से हालात पर लगातार निगरानी रखने की सलाह दी जाती है।
जिम्मेदारियों के निर्वहन और राहत प्रयास
इस कही अनकही आपदा ने न केवल क्षेत्रीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन और राहतकार्य के संचालन पर भी ध्यान केंद्रित किया। अधिकारीगण का प्रमुख ध्यान प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना और उनके लिए आवास व खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने पर था। लगभ ही ना
आ न्यूस्काटा आता है जोकि प्रादेशिक प्राधिकारी नामक संस्था द्वारा संचालित किया गया और जिसका प्रमुख उद्देश्य आपदाओं के समय जल्दी और प्रभावी ढंग से जवाब देना है।
इसीक्रम में प्रदत्त गांवों और प्रभावित क्षेत्रों में एक आंतरिक निगरानी तंत्र स्थापित किया गया, ताकि संभवतः भविष्य में आपदाओं के समय समुदायों को जल्दी से बचाया जा सके। सरकार ने इस अवसर के माध्यम से भी यह संदेश दिया कि आपदा तैयारियों को स्थायी बजट में सम्मिलित किया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर संसाधनों का अभाव ना हो।
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