रक्त जांच का नतीजा अक्सर डॉक्टर की दवा या इलाज तय करता है। जब ये नतीजे बदल दिए जाएँ तो रोगी को गलत उपचार मिल सकता है, कभी‑कभी जान भी जा सकती है. इसलिए ब्लड रिपोर्ट हेराफेरी पर ध्यान देना जरूरी है.
सबसे आम तरीका है लैब के अंदर या बाहर किसी का दस्तावेज़ बदलना. कुछ लोग सैंपल को मिलाते हैं, कुछ डिजिटल फाइल में एडिट करते हैं. छोटे क्लिनिकों में कर्मचारी पैसे की लालसा से रिपोर्ट बदल सकते हैं। कभी‑कभी रोगी खुद ही अपने नतीजों को बेहतर दिखाने के लिये दबाव डालता है और लैब स्टाफ को हेरफर करने पर मजबूर करता है.
ऑनलाइन पोर्टल भी जोखिम में होते हैं. अगर पासवर्ड कमजोर हो या दो‑फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन न हो तो कोई अनधिकृत व्यक्ति रिपोर्ट डाउनलोड कर बदल सकता है. इसी कारण कई बार मरीज को अलग‑अलग लैब से समान टेस्ट करवाकर मिलते‑जुलते परिणामों की तुलना करनी पड़ती है.
सबसे पहला कदम है भरोसेमंद लैब चुनना. राष्ट्रीय मान्यता वाले सेंटर, बड़े अस्पताल या सरकारी प्रयोगशालाएँ आमतौर पर कड़ी निगरानी रखती हैं. रिपोर्ट मिलने पर तुरंत उसका मूल सैंपल देखिए – अगर संभव हो तो क्लिनिक से सैंपल का छोटा हिस्सा रखें.
डिजिटल रिपोर्ट के लिये दो‑फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन और एन्क्रिप्टेड फाइलें माँगें. यदि आप ऑनलाइन पोर्टल से रिपोर्ट डाउनलोड करते हैं, तो फ़ाइल की हैश वैल्यू या डिजिटल सिग्नेचर चेक करें. ये छोटे कदम हेराफेरी को बहुत मुश्किल बना देते हैं.
अगर आपको संदेह हो कि रिपोर्ट बदल गई है, तो तुरंत दोबारा टेस्ट कराएँ. मौखिक रूप से नहीं, बल्कि नए सैंपल लेकर एक अलग लैब में जांच करवाएँ. डॉक्टर को भी इस बात की जानकारी दें ताकि वे इलाज के निर्णय में सावधानी बरतें.
कानूनी तौर पर हेराफेरी अपराध है और इसमें जेल या जुर्माना हो सकता है. अगर कोई व्यक्ति जान बूझ कर रिपोर्ट बदलता दिखे, तो पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाएँ और लैब को लिखित नोटिस भेजें. इस तरह आप न केवल अपने अधिकार बचाते हैं बल्कि दूसरों के लिये भी चेतावनी बनते हैं.
अंत में याद रखें, स्वास्थ्य आपका सबसे बड़ा धन है. रिपोर्ट की सच्चाई पर भरोसा बनाए रखना आपके इलाज को सही दिशा देता है और भविष्य में अनावश्यक खर्चों से बचाता है.
पुणे क्राइम ब्रांच ने किशोर की ब्लड रिपोर्ट में हेराफेरी के आरोप में दो डॉक्टरों और एक शवगृह कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन लोगों ने किशोर के पिता के कहने पर ब्लड सैंपल को बदलकर शराब की मात्रा को छिपाया। घटना में दो लोगों की मौत हुई थी और जांच में खुलासा हुआ कि सैंपल बदलते समय रिश्वत दी गई थी।