आपने हाल ही में खबरें देखी होंगी – चुनाव आयो के खिलाफ विरोध, नेताओं की बड़बड़ी, शेयर बाजार में उथल-पुथल। ये सब राजनीतिक अस्थिरता का हिस्सा हैं। जब राजनीति में लगातार बदलाव आते रहते हैं तो रोज़मर्रा की जिंदगी पर भी असर पड़ता है। इस लेख में हम समझेंगे कि क्यों ऐसी स्थितियां बनती हैं और हमारे लिए इसका क्या मतलब है।
पहला बड़ा कारण है सत्ता के लिये लड़ाई। जब दो या अधिक पार्टियाँ एक ही सीट को लेकर झगड़ती हैं तो अक्सर विरोध प्रदर्शन होते हैं। उदाहरण के तौर पर 11 अगस्त 2025 को दिल्ली में राहुल गांधी द्वारा आयोजित चुनाव आयो विरोध में लगभग 300 विपक्षी नेता ‘SIR’ और वोट लिस्ट की गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए बड़ा आंदोलन कर रहे थे। ऐसे घटनाक्रम न सिर्फ मीडिया को हिला देते हैं, बल्कि आम लोगों को भी उलझन में डालते हैं।
दूसरा कारण है नीति‑निर्माण में अचानक बदलाव। सरकार नई टैक्स या नियमों को तुरंत लागू कर देती है, जैसे कि ट्रेड तनाव के बाद सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊँचाइयों तक पहुँच गईं। ऐसे आर्थिक कदम शेयर बाजार में गिरावट लाते हैं और निवेशकों की भरोसेमंदी घटती है। इससे बचत‑बैंकिंग सेक्टर में भी अस्थिरता आती है, जैसा कि हालिया SBI PO परिणामों में देखा गया – चयन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव लोगों को अनिश्चित बना रहा।
जब राजनीति अस्थिर होती है तो सबसे पहले इसका असर आम नागरिकों के खर्चे पर पड़ता है। सरकार अगर नई कर नीति लाती है, तो सब्जी‑फलों की कीमतें बढ़ सकती हैं; यदि विदेश में कोई बड़ी डील फेल हो (जैसे Ola Electric की ₹731 करोड़ ब्लॉक डील) तो शेयर बाजार गिर सकता है और बचत के मूल्य घट सकते हैं।
दूसरी ओर, अस्थिरता नौकरी खोजने वालों को भी प्रभावित करती है। उदाहरण के तौर पर SBI PO मुख्य परीक्षा परिणाम में बदलाव से कई उम्मीदवारों को फिर से तैयारी करनी पड़ी, जिससे उनका करियर प्लान बाधित हुआ। इसी तरह, चुनावी अराजकता के कारण सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन धीमा हो सकता है, जो गरीब वर्ग की मदद को रोक देता है।
अंत में यह कहना सही रहेगा कि राजनीतिक अस्थिरता सिर्फ राजनीति की बात नहीं है, बल्कि हमारे रोज़मर्रा के निर्णयों से जुड़ी हुई है। अगर आप निवेश कर रहे हैं तो बाजार के उतार‑चढ़ाव पर नज़र रखें। अगर नौकरी या पढ़ाई का प्लान बना रहे हैं तो सरकारी निकायों के अपडेट को फॉलो करें। इस तरह आप अस्थिरता के दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं और अपने फैसलों को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
संक्षेप में, राजनीतिक अस्थिरता का मूल कारण सत्ता संघर्ष, नीतियों की अनिश्चितताएँ और जनता की प्रतिक्रिया है। इसका असर आर्थिक बाजार, रोजगार और दैनिक खर्चों तक फैला होता है। इन कारकों को समझकर आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं और इस उथल‑पुथल भरी राजनीति में अपने कदम सुरक्षित रख सकते हैं।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और वे देश छोड़कर भाग चुकी हैं। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकिर-उज-ज़मान ने एक टेलीविजन संबोधन में इसकी घोषणा की। यह निर्णय हफ्तों के विरोध प्रदर्शन व हिंसा के बाद लिया गया है। हसीना का विमान भारत के ऊपर देखा गया, लेकिन वह वहां उतरा नहीं और अन्य जगह चला गया। देश में स्थिति अभी भी विस्फोटक बनी हुई है।