जब हम "शहिद" शब्द सुनते हैं तो दिल में सम्मान की भावना उमड़ती है। यह सिर्फ़ एक पद नहीं, बल्कि उन लोगों का जीवन‑संकल्प है जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ दिया। इस पेज पर आप शहीदों से जुड़ी नवीनतम खबरें, सरकारी योजनाएँ और उनके परिवारों की कहानी आसानी से पा सकते हैं। तो चलिए, साथ में देखते हैं क्या नया है?
पिछले कुछ हफ्तों में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ सामने आईं। जैसे कि उत्तराखण्ड के एक सैनिक का पोस्ट‑मोर्टेम सम्मान समारोह, जहाँ परिवार वालों को सरकार ने विशेष भत्ता दिया। इसी तरह पंजाब में जवान की याद में स्कूल में स्मृति दिवस मनाया गया, जिसमें बच्चों ने उनके साहस पर चर्चा की। इन खबरों से पता चलता है कि शहीदों को न केवल आज़ादि के लिए नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ी को प्रेरित करने के लिये भी याद किया जाता है।
सरकार ने हाल ही में "शहिद कल्याण योजना" में सुधार किए हैं—अब परिवारों को स्वास्थ्य बीमा, शिक्षा शुल्क में छूट और रोजगार सहायता मिलती है। यह बदलाव कई शहीद परिवारों की ज़िन्दगी बदल रहा है। अगर आप इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो नजदीकी जिला कार्यालय या आधिकारिक वेबसाइट पर तुरंत अप्लाई कर सकते हैं।
हर शहीद की कहानी अलग‑अलग होती है, लेकिन सब में एक समान बात रहती है—देशभक्ति का अडिग इरादा। कुछ लोग तो युद्ध के मैदान से ही नहीं बल्कि सिविल सेवा में भी अपना बलिदान देते हैं। उदाहरण के तौर पर वह पत्रकार जो आतंकवादी हमले के दौरान शहिद हुए, या डॉक्टर जो महामारी में अपने रोगियों को बचाने में मारे गए। इन कहानियों को पढ़कर हमें समझ आता है कि शहीद केवल सैनिक नहीं, हर पेशेवर हो सकता है।
शहीदों को याद रखने के कई आसान तरीके हैं—उनके नाम पर स्मारक बनाना, वार्षिक सभा आयोजित करना या सोशल मीडिया पर उनके कार्यों को शेयर करना। अगर आप अपने आसपास किसी शहीद का सम्मान करना चाहते हैं तो स्थानीय स्कूल या पंचायत में संपर्क कर सकते हैं; अक्सर वे छोटे‑छोटे कार्यक्रम आयोजित करते हैं जहाँ आपका योगदान सराहनीय रहेगा।
आखिरकार, शहिद सिर्फ़ इतिहास की पन्नों में नहीं रहना चाहिए। उनका साहस हर दिन हमारे काम करने के तरीके को प्रेरित करता है—इंसाफ़, ईमानदारी और देशभक्ति। इस पेज पर आप इन मूल्यों को समझने और अपने जीवन में लागू करने के लिए ज़रूरी जानकारी पा सकते हैं। तो देर मत कीजिए, अभी पढ़ें और शहीदों का सम्मान बढ़ाएँ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 5 जुलाई को सियाचिन में दुर्गम चोटियों पर अपनी जान की बाजी लगाकर साथी सैनिकों को बचाने वाले कैप्टन अंशुमन सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। कैप्टन अंशुमन सिंह की विधवा, स्मृति सिंह ने भावुक होकर इस सम्मान को स्वीकारा और उनके साहसिक कार्यों एवं प्रेम कहानी को याद किया।