नमस्ते! अगर आप संसद से जुड़ी हर छोटी‑बड़ी खबर एक जगह चाहते हैं तो आप सही जगह पर आए हैं। यहाँ हम आपको हाल ही की बहसें, नए विधेयक और सांसदों के बयान सीधे लाते हैं—बिना किसी झंझट के। चलिए देखते हैं इस हफ़्ते में संसद में क्या हुआ?
पिछले कई दिनों में संसद ने दो बड़े विधेयक पर चर्चा की: पहला था वक्फ संशोधन विधेयक 2024. इसपर विपक्ष और सरकार के बीच तेज़ बहस हुई। विपक्ष वाले इसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ मानते हैं, जबकि केंद्र यह कह रहा है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा। दोनों तरफ से कई सांसदों ने सवाल उठाए—जैसे कैसे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और स्थानीय समुदायों को क्या लाभ मिलेगा।
दूसरा महत्वपूर्ण बिल राहुल गांधी के विरोध में ‘SIR’ वॉटरिंग लिस्ट स्कैंडल से जुड़ा था। यहाँ भी संसद ने कई घंटे बिताए, क्योंकि कुछ सांसद इसको चुनावी दांव-प्रभाव मान रहे थे, जबकि दूसरी ओर यह दावा किया गया कि वोटरों की पहचान को लेकर गड़बड़ी हुई है। अंत में समिति बनाकर आगे जांच करने का फैसला हुआ।
सांसदों के बीच सबसे ज़्यादा चर्चा हुई राष्ट्रपति शुक्ला की पाकिस्तान पर सख्त रुख की। उन्होंने कहा कि किसी भी आतंकवादी हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोपक्षीय खेल को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। यह बयान कई सांसदों ने सराहा, जबकि कुछ ने इसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बाधा बताया।
एक और दिलचस्प मोड़ आया जब एक युवा सांसद ने बजट में सस्ती स्वास्थ्य सेवा की मांग रखी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में अस्पतालों की कमी से लोगों को बड़े शहरों तक जाना पड़ता है, जिससे खर्चा बढ़ जाता है। इस मुद्दे पर कई वरिष्ठ राजनेताओं ने समर्थन जताया और इसे अगली वित्तीय योजना में जोड़ने का वादा किया।
इन सभी बहसों के बीच कुछ हल्के‑फुल्के क्षण भी रहे—जैसे एक सांसद ने सत्र की शुरुआत में बारी-बारी से चाय के कप दिखाते हुए कहा, "चलो, पहले चाय पी लें फिर चर्चा करें"। ऐसा छोटा मजाक माहौल को थोड़ा राहत देता है, पर मुख्य मुद्दों का महत्व नहीं घटाता।
तो संक्षेप में—संसद में विधेयकों की तेज़ गति से बदलाव, नेता‑गण के तीखे बयान और कुछ हल्की-फुलकी बातें मिलकर एक जटिल लेकिन रोचक चित्र पेश करती हैं। अगर आप इन अपडेट्स को रोज़ देखना चाहते हैं तो मार्केटर्स न्यूज पर बने रहें। यहाँ हर खबर का सार तुरंत मिलेगा—बिना किसी झंझट के, सीधे आपके हाथ में।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) राज्यसभा में बहुमत से पीछे हो गई है, चार मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति के कारण। भाजपा की सीटें अब 86 हो गई हैं और एनडीए की कुल सीटें 101 पर आ चुकी हैं, जो बहुमत से कम हैं।