मार्केटर्स न्यूज़

तापमान वृद्धि – भारत में बढ़ते ताप का असर

आपने हाल ही में खबरों में कई बार ‘हीट वेव’ या ‘शीत लहर’ देखी होगी। असल में ये सब मौसम के बदलते पैटर्न का हिस्सा हैं और इसका सीधा असर हमारे शरीर, फसल और रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर पड़ता है। इस लेख में हम सरल भाषा में समझेंगे कि क्यों तापमान बढ़ रहा है और हमें क्या करना चाहिए।

भारत में मौसमी बदलाव

पिछले कुछ सालों में भारत के कई हिस्सों में गर्मी की लहरें पहले से ज्यादा लंबी और तीव्र हो गई हैं। साथ ही, हिमाचल प्रदेश जैसे उत्तर क्षेत्रों में अचानक ठंड भी बढ़ रही है – श्रीनगर में तापमान -3.6°C तक गिर गया था। ये बदलाव वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण होते हैं, लेकिन स्थानीय कारक जैसे शहरीकरण और पेड़-पौधों की कमी भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।

उदाहरण के तौर पर, उत्तर भारत में गर्मी से पानी का स्तर घटता है, जिससे नदियों का प्रवाह कम हो जाता है। दक्कन में बाढ़ की संभावनाएँ बढ़ती हैं क्योंकि बारिश अधिक तीव्र और अनियमित होती जा रही है। इस तरह के दोहरे प्रभावों से किसानों को फसल नुकसान उठाना पड़ रहा है।

तापमान वृद्धि के प्रभाव

सबसे पहले तो स्वास्थ्य पर असर साफ़ दिखता है। गर्मी में धूप में ज्यादा देर तक रहने से थकान, सिरदर्द और यहाँ तक कि हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं अचानक ठंड में लोगों को सर्दी‑जुकाम या फेफड़े की समस्याएँ हो सकती हैं। बुज़ुर्गों और बच्चों के लिए ये जोखिम और भी ज़्यादा होते हैं।

कृषि क्षेत्र सबसे संवेदनशील है। गर्मी से धान, गेहूँ और सब्जियों की पैदावार घटती है, जबकि कुछ फसलें जैसे मिलेट या सोयाबीन को लाभ हो सकता है। किसानों को अब बीज चयन, सिचाई तकनीक और फसल विविधीकरण पर ध्यान देना पड़ रहा है ताकि वे मौसम के उतार-चढ़ाव से बच सकें।

ऊर्जा की मांग भी बदलती है। गर्मियों में एयर कंडीशनर चलाने का खर्च बढ़ता है, जबकि ठंडे महीनों में हीटर या गैस सिलेंडर पर ज्यादा खर्च आता है। इससे घरों के बिल में इज़ाफ़ा होता है और अक्सर बिजली कटौती जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

पर्यटन उद्योग भी इस बदलाव से प्रभावित हो रहा है। हिमाचल जैसे ठंडे पर्यटन स्थलों में बर्फ नहीं गिरने की वजह से सर्दियों के सीजन का फायदा कम हो जाता है, जबकि समुद्र तटों पर अधिक गर्मी के कारण पर्यटक जल में झांकना पसंद करते हैं, जिससे स्थानीय व्यापार बदलता है।

इन समस्याओं से निपटने के लिए छोटे-छोटे कदम मददगार होते हैं। पेड़ लगाना, पानी बचाने की आदतें अपनाना और ऊर्जा कुशल उपकरणों का उपयोग करना बहुत असरदार हो सकता है। साथ ही, स्थानीय अधिकारियों को जलवायु‑स्मार्ट योजनाएँ बनानी चाहिए – जैसे बारिश के पानी को संग्रहीत करने वाले टैंक या सौर पैनल लगाना।अंत में कहा जा सकता है कि तापमान वृद्धि सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई है। अगर हम इस बदलाव को समझकर सही उपाय अपनाएँ तो न केवल अपनी जिंदगी आसान बना सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बेहतर भविष्य तैयार कर सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने तत्काल वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया

जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने तत्काल वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने तापमान वृद्धि और गंभीर मौसम की घटनाओं के बीच जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तत्काल वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया है। उन्हों ने चेतावनी दी है कि वर्तमान प्रतिबद्धताएँ पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं और ठोस कदम उठाने के लिए समय बहुत कम बचा है।

जारी रखें पढ़ रहे हैं