ताजिकिस्तान में हिजाब पर प्रतिबंध का मसौदा विधेयक
ताजिकिस्तान में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाले मसौदा विधेयक को देश की संसद के उच्च सदन, मशलिसी मिल्ली, ने हाल ही में मंजूरी दी है। यह सार्वभौम विधेयक 19 जून, 2024 को उच्च सदन द्वारा पारित किया गया था। इस विधेयक के अनुसार, ताजिकिस्तान में 'परदेशी' परिधानों, जिनमें इस्लामी कपड़े प्रमुख हैं, के पहनने, आयात करने, बेचने, और विज्ञापन करने पर सख्त रोक होगी।
यह प्रतिबंध केवल व्यक्तिगत परिधान तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि विधेयक में अन्य कानूनी संस्थाओं के लिए भी कठोर दंड का प्रावधान है। नियमों का उल्लंघन करने पर 740 अमेरिकी डॉलर से लेकर 5,400 अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विशेषकर सरकारी अधिकारियों और धार्मिक अधिकारियों के लिए और भी अधिक प्रसारित दंड लगाए जाएंगे। यह विधेयक पहले 9 जून, 2024 को निचले सदन में पारित हुआ था और अब इसे राष्ट्रपति इमामोली रहमोन द्वारा कानून में हस्ताक्षरित करने की प्रतीक्षा है।
लंबे समय से सरकार का रुख
ताजिक सरकार ने लंबे समय से इसलामी संस्कृति पर अंकुश लगाने और राष्ट्रीय पोशाक को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। यह प्रयास 2007 से चल रहा है, जब से अनाधिकारिक रूप से दाढ़ियों पर प्रतिबंध और अनुशंसा की गई पोशाकों पर आधारित एक गाइडबुक भी जारी की गई।
राष्ट्रपति इमामोली रहमोन की सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट है, जिसे राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक पहचान की अस्मिता से जोड़कर देखा जा सकता है। हालांकि, बहुसंख्यक निवासियों, खासकर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में, ने इस प्रतिबंध का विरोध किया है। वे मानते हैं कि लोगों को अपनी पोशाक चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
पड़ोसी देशों में भी ऐसे प्रतिबंध
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी देश ने इस्लामी परिधानों पर प्रतिबंध लगाया हो। ताजिकिस्तान के पड़ोसी देशों कजाखस्तान और किर्गिस्तान, साथ ही एशिया और यूरोप के अन्य देशों में भी इसी प्रकार के प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन सरकारों का मानना है कि इस तरह के उपाय से अतिवादी विचारधाराओं को कम किया जा सकता है और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जा सकता है।
समाज में उत्पन्न हो रहे विवाद
हालांकि, इस निर्णय ने समाज में विभाजन और विवादों को जन्म दिया है। अधिकतर नागरिक इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर आघात के रूप में देख रहे हैं। लोगों का यह मानना है कि इस्लामिक कपड़े पहनना किसी भी धार्मिक अधिकार से जुड़ी एक सामान्य बात है, और इसे प्रतिबंधित करना धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है।
समाजिक मीडिया पर भी इस विषय को लेकर चर्चाएं गरमा रही हैं। लोग अपने विरोध और समर्थन के विचार साझा कर रहे हैं। ताजिकिस्तान की महिलाओं में इस विधेयक का गहरा विभाजन दिखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां कुछ महिलाएं इसे अपनी स्वतंत्रता पर आघात मानती हैं, वहीं कुछ इसे राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक अस्मिता के सुर में देखने की कोशिश कर रही हैं।
दूरगामी प्रभाव
यह प्रतिबंध लागू होने के बाद ताजिकिस्तान में सामाजिक ताने-बाने में बुनियादी बदलाव आ सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और नागरिकों के बीच इस मुद्दे पर संतुलन कैसे बनाए रखा जाता है।
हर एक पक्ष की अपनी चिंताएं और दलीलें हैं, और इसके दूरगामी प्रभावों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह निर्णय चर्चाओं और विवादों का केंद्र बना रहेगा।
एक टिप्पणी लिखें