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ताजिकिस्तान में हिजाब पर प्रतिबंध: सरकार ने इस्लामी परिधान पर रोक लगाने वाले मसौदा विधेयक को दी मंजूरी

Uma Imagem 17 टिप्पणि 21 जून 2024

ताजिकिस्तान में हिजाब पर प्रतिबंध का मसौदा विधेयक

ताजिकिस्तान में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाले मसौदा विधेयक को देश की संसद के उच्च सदन, मशलिसी मिल्ली, ने हाल ही में मंजूरी दी है। यह सार्वभौम विधेयक 19 जून, 2024 को उच्च सदन द्वारा पारित किया गया था। इस विधेयक के अनुसार, ताजिकिस्तान में 'परदेशी' परिधानों, जिनमें इस्लामी कपड़े प्रमुख हैं, के पहनने, आयात करने, बेचने, और विज्ञापन करने पर सख्त रोक होगी।

यह प्रतिबंध केवल व्यक्तिगत परिधान तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि विधेयक में अन्य कानूनी संस्थाओं के लिए भी कठोर दंड का प्रावधान है। नियमों का उल्लंघन करने पर 740 अमेरिकी डॉलर से लेकर 5,400 अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विशेषकर सरकारी अधिकारियों और धार्मिक अधिकारियों के लिए और भी अधिक प्रसारित दंड लगाए जाएंगे। यह विधेयक पहले 9 जून, 2024 को निचले सदन में पारित हुआ था और अब इसे राष्ट्रपति इमामोली रहमोन द्वारा कानून में हस्ताक्षरित करने की प्रतीक्षा है।

लंबे समय से सरकार का रुख

ताजिक सरकार ने लंबे समय से इसलामी संस्कृति पर अंकुश लगाने और राष्ट्रीय पोशाक को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। यह प्रयास 2007 से चल रहा है, जब से अनाधिकारिक रूप से दाढ़ियों पर प्रतिबंध और अनुशंसा की गई पोशाकों पर आधारित एक गाइडबुक भी जारी की गई।

राष्ट्रपति इमामोली रहमोन की सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट है, जिसे राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक पहचान की अस्मिता से जोड़कर देखा जा सकता है। हालांकि, बहुसंख्यक निवासियों, खासकर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में, ने इस प्रतिबंध का विरोध किया है। वे मानते हैं कि लोगों को अपनी पोशाक चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

पड़ोसी देशों में भी ऐसे प्रतिबंध

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी देश ने इस्लामी परिधानों पर प्रतिबंध लगाया हो। ताजिकिस्तान के पड़ोसी देशों कजाखस्तान और किर्गिस्तान, साथ ही एशिया और यूरोप के अन्य देशों में भी इसी प्रकार के प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन सरकारों का मानना है कि इस तरह के उपाय से अतिवादी विचारधाराओं को कम किया जा सकता है और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जा सकता है।

समाज में उत्पन्न हो रहे विवाद

हालांकि, इस निर्णय ने समाज में विभाजन और विवादों को जन्म दिया है। अधिकतर नागरिक इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर आघात के रूप में देख रहे हैं। लोगों का यह मानना है कि इस्लामिक कपड़े पहनना किसी भी धार्मिक अधिकार से जुड़ी एक सामान्य बात है, और इसे प्रतिबंधित करना धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है।

समाजिक मीडिया पर भी इस विषय को लेकर चर्चाएं गरमा रही हैं। लोग अपने विरोध और समर्थन के विचार साझा कर रहे हैं। ताजिकिस्तान की महिलाओं में इस विधेयक का गहरा विभाजन दिखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां कुछ महिलाएं इसे अपनी स्वतंत्रता पर आघात मानती हैं, वहीं कुछ इसे राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक अस्मिता के सुर में देखने की कोशिश कर रही हैं।

दूरगामी प्रभाव

यह प्रतिबंध लागू होने के बाद ताजिकिस्तान में सामाजिक ताने-बाने में बुनियादी बदलाव आ सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और नागरिकों के बीच इस मुद्दे पर संतुलन कैसे बनाए रखा जाता है।

हर एक पक्ष की अपनी चिंताएं और दलीलें हैं, और इसके दूरगामी प्रभावों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह निर्णय चर्चाओं और विवादों का केंद्र बना रहेगा।

17 टिप्पणि

  1. Chandni Solanki
    Chandni Solanki
    जून 22 2024

    ये सब नियम बनाने से पहले सोचो कि लोगों की आत्मा क्या चाहती है। हिजाब सिर्फ कपड़ा नहीं, एक शांति है। ❤️

  2. Sushil Kallur
    Sushil Kallur
    जून 22 2024

    मैं समझता हूँ सरकार का दृष्टिकोण, लेकिन जब तक हम लोगों की व्यक्तिगत चुनाव की स्वतंत्रता को नहीं समझेंगे, तब तक ये नियम सिर्फ दर्द बढ़ाएंगे।

  3. Nitin Garg
    Nitin Garg
    जून 24 2024

    अरे भाई, अब हिजाब पर रोक लगाने से क्या होगा? अगर कोई अपने धर्म के नाम पर गुस्सा कर रहा है तो उसका हिजाब नहीं, दिमाग बदलना चाहिए।

  4. Seema Lahiri
    Seema Lahiri
    जून 26 2024

    मैंने देखा है दुशांबे की लड़कियां अपने हिजाब के साथ बाजार में चलती हैं और उनके चेहरे पर शांति है और वो भी अपनी नौकरी करती हैं और बच्चों को पढ़ाती हैं और कोई उन्हें अलग नहीं मानता और फिर भी सरकार इसे रोकना चाहती है और मुझे लगता है कि ये सब बहुत बुरा है

  5. Jay Patel
    Jay Patel
    जून 27 2024

    ये सब राष्ट्रीय पहचान की बात है या बस एक बड़े आदमी की अहंकार की बात है? एक देश की पहचान उसके लोगों की आज़ादी से बनती है न कि उनके कपड़ों से।

  6. fathimah az
    fathimah az
    जून 28 2024

    इस विधेयक के विश्लेषण में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक संघर्ष का एक विशिष्ट द्वंद्व दिखाई देता है जिसका निराकरण सामाजिक अभिवासी नीतियों के माध्यम से ही संभव है।

  7. Sohini Baliga
    Sohini Baliga
    जून 28 2024

    हर व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता अहम है। यदि कोई व्यक्ति अपने विश्वास के अनुसार वेशभूषा पहनना चाहता है तो उसे उसका अधिकार देना चाहिए।

  8. Senthil Kumar
    Senthil Kumar
    जून 30 2024

    हमें अपने देश के लोगों के बीच सामंजस्य बनाना चाहिए, न कि उनके विश्वासों को दबाना। यह विधेयक बांटने का काम करेगा, न कि जोड़ने का।

  9. Anu Baraya
    Anu Baraya
    जुलाई 1 2024

    हर लड़की का अपना अधिकार है अपने रास्ते का चुनाव करने का। इस विधेयक से हम उनकी आत्मा को दबा रहे हैं। जागो भारत जागो!

  10. Divyangana Singh
    Divyangana Singh
    जुलाई 2 2024

    हिजाब एक शांति का प्रतीक है न कि एक भाग जो दबाया जाना चाहिए। जब तक हम लोगों के दिलों की आवाज़ सुनेंगे तब तक ये सब नियम बेकार होंगे।

  11. Harsh Vardhan pandey
    Harsh Vardhan pandey
    जुलाई 4 2024

    कोई नहीं जानता कि ये सब क्यों हो रहा है। सिर्फ एक बड़ा आदमी अपना रास्ता चल रहा है।

  12. Shatakshi Pathak
    Shatakshi Pathak
    जुलाई 5 2024

    तुम सब लोग बहुत ज्यादा सोच रहे हो। ये सिर्फ एक कपड़ा है। अगर तुम्हारा दिमाग इतना बड़ा है तो दूसरी बातों पर ध्यान दो।

  13. kriti trivedi
    kriti trivedi
    जुलाई 5 2024

    इस विधेयक को बनाने वाले अपने आप को राष्ट्रीय नायक समझ रहे हैं लेकिन वास्तव में वे लोगों के दिलों को तोड़ रहे हैं। ये सिर्फ एक अहंकार का निशान है।

  14. shiv raj
    shiv raj
    जुलाई 6 2024

    हमें एक दूसरे को समझना चाहिए। हिजाब पहनने वाली लड़की भी एक इंसान है और उसका अधिकार है। हम सब एक हैं।

  15. vaibhav tomar
    vaibhav tomar
    जुलाई 7 2024

    इस विधेयक के बारे में बहुत बात हो रही है लेकिन क्या कोई इस बात पर ध्यान दे रहा है कि हमारे देश में भी कई जगह लोगों की आज़ादी नहीं है और हम इस पर क्यों नहीं बोल रहे हैं

  16. suresh sankati
    suresh sankati
    जुलाई 7 2024

    ये सब एक बड़ा धोखा है। सरकार लोगों को डरा रही है ताकि वे उसके बारे में न सोचें।

  17. Pooja Kri
    Pooja Kri
    जुलाई 8 2024

    इस विधेयक के लागू होने से धार्मिक स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध एक अनिवार्य विपरीत प्रभाव पड़ेगा जिसका अध्ययन अभी तक नहीं हुआ है

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