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वक्फ संशोधन विधेयक: भाजपा और विपक्षी गुटों के बीच तीखा संघर्ष

Uma Imagem 6 टिप्पणि 2 अप्रैल 2025

वक्फ (संशोधन) विधेयक: विवाद और संघर्ष

भारतीय संसद में इन दिनों वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर बड़ा हंगामा हो रहा है। संसद में विधेयक के पेश होते ही विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश करार दिया और इसे रोकने की ठान ली। विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' द्वारा बिल का तीखा विरोध किया जा रहा है, जिसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी), डीएमके और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसी पार्टियाँ शामिल हैं। विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह बिल संविधान के खिलाफ है और यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने के लिए लाया गया है।

जैसे ही अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने इसे सदन में पेश किया, विपक्ष ने इसे फौरन चुनौती दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर इसे रोकने की अपील की। वहीं, राहुल गांधी भी इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ खड़े हैं।

संख्यात्मक ताकत और रणनीति

संख्यात्मक ताकत और रणनीति

संसद में संख्या बल की बात करें तो लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 293 सांसद हैं, जबकि 'इंडिया' गठबंधन के पास 235। एनडीए की इस संख्या बल के चलते विधेयक के पास होने की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। हालाँकि, राज्यसभा में एनडीए के पास महज एक पतली बढ़त है, जिससे वहां बहस के दौरान विपक्ष प्रभाव डालने की कोशिश करेगा।

इस विधेयक का विरोध कर रहे विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बता कर चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है। खासतौर पर केरल में यह मुद्दा अधिक गरम है, जहाँ कांग्रेस को ईसाई समुदाय के वोट का ध्यान रखना पड़ रहा है।

ऐसे में भाजपा की रणनीति भी साफ है। वह इस विवाद का इस्तेमाल हिंदू वोट बैंक मजबूत करने के लिए कर रही है। खासतौर से राहुल गांधी के आरक्षण विस्तार और जाति जनगणना के मुद्दे का जवाब देने के लिए यह विधेयक उनके हाथ में है।

कुल मिलाकर, वक्फ संशोधन विधेयक न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक समीकरण को भी चौंका रहा है। इसका असर आने वाले चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है।

6 टिप्पणि

  1. Chandni Solanki
    Chandni Solanki
    अप्रैल 4 2025

    ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है बल्कि उनके अधिकारों को सुधारने के लिए है। वक्फ बोर्ड की ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी, भ्रष्टाचार कम होगा। ये सिर्फ एक टेक्निकल अपडेट है। 😊

  2. Nitin Garg
    Nitin Garg
    अप्रैल 4 2025

    अरे भाई ये सब बकवास है। जो लोग इसे अल्पसंख्यक अधिकार का मुद्दा बना रहे हैं वो खुद भी जानते हैं कि ये बिल किस बात की बात कर रहा है। बस चुनावी नारे चला रहे हैं। अल्पसंख्यकों के लिए कुछ करो तो बस, नहीं तो बोलने का मौका न दो।

  3. Seema Lahiri
    Seema Lahiri
    अप्रैल 5 2025

    मैंने देखा है जब वक्फ बोर्ड्स की जमीन का इस्तेमाल होता है तो उसकी जानकारी बिल्कुल भी नहीं होती कि किसके लिए कितनी जमीन है और किसके हाथ में है। इस बिल से शायद थोड़ा साफ़ हो जाएगा। लेकिन जो लोग डर रहे हैं उनका डर भी समझ में आता है क्योंकि पिछले दशकों में बहुत कुछ गलत हुआ है। अब बस ट्रांसपेरेंसी चाहिए न कि डर।

  4. Jay Patel
    Jay Patel
    अप्रैल 6 2025

    ये सब राजनीति है भाई। भाजपा को वोट चाहिए तो हिंदू बनाते हैं। विपक्ष को वोट चाहिए तो मुस्लिम बनाते हैं। लोग भूल गए कि वक्फ बोर्ड असल में क्या है। ये सिर्फ जमीन का मामला है न कि धर्म का। अब दोनों पार्टियां इसे अपना बैनर बना रही हैं। बस यही देखो जब चुनाव खत्म हो जाएगा तो कोई नहीं याद रखेगा।

  5. fathimah az
    fathimah az
    अप्रैल 6 2025

    मैं इस बिल के तकनीकी पहलू को देख रही हूँ। वक्फ अकाउंट्स की ऑडिटिंग, डिजिटल रिकॉर्ड रखना, और ट्रांसपेरेंसी मैकेनिज्म की डिज़ाइन अगर वैध और निष्पक्ष है तो ये एक जरूरी सुधार है। लेकिन इसकी लागू करने की प्रक्रिया में समावेशी डायलॉग की जरूरत है। विपक्ष के डर को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। बिल के नियमों में समावेशी भागीदारी का मौका देना चाहिए।

  6. Sohini Baliga
    Sohini Baliga
    अप्रैल 7 2025

    हमें इस बिल को निर्णय लेने के बजाय एक साझा यात्रा के रूप में देखना चाहिए। अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ वक्फ बोर्ड्स की पारदर्शिता भी जरूरी है। दोनों को एक साथ लाना संभव है बस विश्वास और संवाद की जरूरत है।

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