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महापरिनिर्वाण दिवस 2024: डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के योगदान को याद करने का अनोखा अवसर

Uma Imagem 0 टिप्पणि 7 दिसंबर 2024

महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व

महापरिनिर्वाण दिवस डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय इतिहास में एक महान व्यक्तित्व थे। 6 दिसंबर 1956 को, उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली और उनका अंतिम संस्कार 7 दिसंबर को मुंबई में बौद्ध रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। इस दिन को हर साल उनके अनुयायी और प्रशंसक उनको श्रद्धांजलि देने के लिए मनाते हैं। यह दिन केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न हिस्सों में उनके विचारों और आदर्शों को अपने जीवन में उतारने वाले लोग भी याद करते हैं।

डॉ. आंबेडकर का समाज सुधार में योगदान

डॉ. आंबेडकर को भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारतीय समाज में जाति प्रथा को चुनौती दी और असमानता तथा छुआछूत के खिलाफ संघर्ष किया। उनका मानना था कि स्वतंत्रता और समानता के बिना समाज का विकास संभव नहीं है। इसलिए, उन्होंने भारतीय संविधान में उन प्रावधानों की नींव रखी, जो समान अधिकारों की गारंटी सुनिश्चित करते हैं। उनके विचारों के अनुसार, स्वतंत्रता सम्मान का अधिकार है, और समानता का मूल्य किसी भी समाजिक ढांचे का आधार होना चाहिए।

बुद्ध धर्म की ओर यात्रा

b हिंदू धर्म में जातिगत भेदभाव के चलते, डॉ. आंबेडकर ने 1956 में अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया। उनका मानना था कि बौद्ध धर्म के सिद्धांत समानता और स्वतंत्रता के संदेश देते हैं और इसलिए उन्होंने इस धर्म का प्रचार-प्रसार किया। बौद्ध धर्म में उनका दीक्षा लेना उनके अनुयायियों के लिए उनके सामाजिक सुधार के प्रयासों में प्रेरणा का स्रोत था। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि समाज के पिछड़े वर्गों को भी शिक्षा और समान अवसर मिले।

प्रेरणादायक उद्धरण और संदेश

डॉ. आंबेडकर के विचार आज भी समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके कुछ प्रसिद्ध उद्धरण जैसे "मानसिक स्वतंत्रता ही सच्ची स्वतंत्रता है," और "मानव अस्तित्व का अंतिम उद्देश्य मस्तिष्क का विकास होना चाहिए," आज भी उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। महापरिनिर्वाण दिवस पर ये उद्धरण सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए जाते हैं ताकि उनके विचारों और आदर्शों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके।

चैत्यभूमि पर श्रद्धांजलि का आयोजन

हर साल हजारों की संख्या में लोग मुंबई के चैत्यभूमि पर एकत्रित होते हैं। यह जगह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की समाधि है और महापरिनिर्वाण दिवस पर यहाँ पर श्रद्धांजलि अर्पण के आयोजन होते हैं। लोग उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए फूल और दीप जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह अवसर भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को एकजुट करता है और उन्हें समानता और सामाजिक न्याय के प्रति अपने संकल्प को पुनः घोषित करने का अवसर प्रदान करता है।

शिक्षा और समान अवसर के प्रति समर्पण

शिक्षा और समान अवसर के प्रति समर्पण

डॉ. आंबेडकर का शिक्षा के प्रति समर्पण ग्रामीण और पिछड़े वर्गों के लिए एक प्रकाशस्तंभ के समान था। उन्होंने शिक्षा को हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार समझा और यह सुनिश्चित किया कि संविधान में इसे समुचित महत्व दिया जाए। उनके प्रयासों से अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू हुई जो आज भी उनके योगदान की गवाही देती है। उनके कार्य और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं और उनके सपनों के भारत को साकार करने का सपना दिखाती हैं।