जब मिथुन मानहास, पूर्व दिल्ली कैप्टन और भारतीय को BCCI का नया अध्यक्ष घोषित किया गया, तो भारत के क्रिकेट प्रेमी तुरंत ही जश्न की अवस्था में आ गए। यह घोषणा वार्षिक आम सभा (AGM)मुंबई के दिन हुई, जो बीसीसीआई के मुख्यालय में आयोजित की गई थी।
इतिहास में यह केवल तीसरा मामला है जब कोई क्रिकेटर अध्यक्ष बना – पहले सौरव गांगुली (2019) और रॉजर बिनी (2022) ने इस पद को संभाला था।
परिचय और चुनाव की पृष्ठभूमि
यदि आप सोचते हैं कि यह चुनाव साधारण था, तो फिर एक चीज़ समझ लीजिए: इस बार भी कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं था। तीन संभावित प्रत्याशी – सौरव गांगुली, हरभजन सिंह और रघुराम भट – ने 21 सितंबर 2025 की नियत तिथि तक नामांकन फॉर्म नहीं जमा किया। इसलिए, मिथुन मानहास एक ही उम्मीदवार बनकर सामने आए।
संघ के भारतीय खेल मंत्रालय के मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस ख़ुशी को "जम्मू‑कश्मीर के लिए एक ऐतिहासिक क्षण" कहा और X (Twitter) पर बधाई संदेश लिखे। उन्होंने कहा, "डोडा जिले के बेटे को यह सम्मान मिलना, आज की सुबह को विशेष बना देता है।"
वोटिंग प्रक्रिया और उम्मीदवारों की कमी
AGM में सभी 28 सदस्य संघों की उपस्थिति थी। चुनाव नियम के अनुसार, यदि एक ही उम्मीदवार ही पंजीकरण पूरा करता है, तो उसे बिना मतदान के स्वीकृति मिल जाती है। यह माहौल पहले दो साल में भी देखा गया था, जब रॉजर बिनी का चयन भी इसी तरह हुआ था।
इस बार अंतर यह है कि रजत शुक्ला, जो इंटीरिम (अस्थायी) अध्यक्ष थे, को उपराष्ट्रपति के रूप में निर्धारित किया गया। उन्होंने कहा कि "हम सभी मिलकर भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की योजना बना रहे हैं।"
नए अध्यक्ष के अधिकार और वेतन संरचना
बीसीसीआई अध्यक्ष का पद औपचारिक रूप से "प्रियमान्य" कहा जाता है – यानी कोई निश्चित वेतन नहीं, लेकिन दैनिक भत्ते बहुत बड़े होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू मीटिंग्स के लिए मानहास को प्रति दिन ₹40,000 और अंतरराष्ट्रीय मीटिंग्स के लिए US$1,000 (लगभग ₹89,000) का भत्ता मिलेगा।
उसी समय, सचिव जय शाह (जो 2019‑2024 तक बीसीसीआई के सचिव थे) को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आईसीसी चेयर के रूप में चुना गया था, जिससे भारतीय क्रिकेट में स्थिरता की झलक मिलती है।
भविष्य की राह और अपेक्षित बदलाव
एक ताज़ा राय में, खेल विश्लेषक डॉ. अनुपमा सिंह ने कहा, "मिथुन मानहास की प्रशासनिक कौशल के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, लेकिन वह एक अनुभवी खिलाड़ी हैं, जो मैदान के अंदर‑बाहर दोनों जगह समझ रखते हैं।"
उनके अनुसार, सबसे बड़ी चुनौती घरेलू लीगों की वित्तीय पारदर्शिता और एंटी‑डोपिंग निगरानी होगी। साथ ही, युवा प्रतिभा की खोज और छोटे‑छोटे शहरों में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने की जरूरत है – खासकर जम्मू‑कश्मीर जैसे क्षेत्रों में, जहाँ मानहास का जड़ें गहरी हैं।
भविष्य में BCCI की योजना में तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर, महिला क्रिकेट की प्रोमोशन, और टी20 लीग की अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा शामिल है। मानहास के पास इस दिशा में "करियर के अंत में नेता बनने" का अनुभव है।
कुंजी तथ्य
- न्यूनतम एक ही उम्मीदवार के कारण चुनाव बिना प्रतिद्वंद्वी के पूरा हुआ।
- मिथुन मानहास का जन्म जम्मू‑कश्मीर के भदरवा में हुआ, डोडा जिले का निवासी।
- वह BCCI के इतिहास में तीसरे पूर्व खिलाड़ी राष्ट्रपति बनेंगे।
- रॉजर बिनी का पदत्याग अगस्त 2025 में हुआ, और रजत शुक्ला अब उपराष्ट्रपति हैं।
- डायरी भत्ता: घरेलू ₹40,000/दिन, अंतरराष्ट्रीय US$1,000/दिन।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मिथुन मानहास क्यों चुनिंदा उम्मीदवार बन गए?
तीन प्रमुख क्रिकेट दिग्गज – सौरव गांगुली, हरभजन सिंह और रघुराम भट – ने नामांकन की आखिरी तारीख 21 सितंबर से पहले अपने दस्तावेज़ नहीं भेजे। बीसीसीआई के नियमों के अनुसार, यदि केवल एक ही नामांकित रहे, तो वह बिना वोट के अध्यक्ष बन जाता है। इसलिए, मानहास को अकेले ही आगे बढ़ना पड़ा।
नए अध्यक्ष के पद पर क्या अधिकार होंगे?
अध्यक्ष का पद औपचारिक है; वे सीधे प्रशासनिक निर्णय नहीं ले सकते, परन्तु रणनीतिक दिशा, चयन प्रक्रिया और प्रमुख इंटरनेशनल मीटिंग्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। साथ ही, वे बीसीसीआई के प्रमुख निकायों की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।
राजनीतिक प्रभाव कितना है इस चुनाव में?
जितेंद्र सिंह जैसे केंद्रीय मंत्री ने इस नियुक्ति को सार्वजनिक रूप से सराहा, जिससे यह संकेत मिलता है कि सरकार भी क्रिकेट के विकास को राष्ट्रीय विकास के हिस्से के रूप में देखती है। लेकिन बीसीसीआई के भीतर अभी तक कोई स्पष्ट राजनीतिक गठबंधन नहीं दिखा।
भदेरवा और डोडा जिले को इस नियुक्ति से क्या लाभ होगा?
स्थानीय स्तर पर यह एक बड़ी प्रेरणा होगी। मानहास के गुजरते हुए कई युवा खिलाड़ी अपने लिए नई संभावनाएँ देखेंगे, और सरकार संभवतः इस क्षेत्र में खेल सुविधाओं के विकास को तेज़ करेगी।
आगे बीसीसीआई की प्रमुख चुनौतियों में क्या है?
वित्तीय पारदर्शिता, डोपींग नियंत्रण, वहन योग्य टैलेंट स्काउटिंग और महिला क्रिकेट की व्यापकता प्रमुख मुद्दे हैं। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय लीगों के साथ प्रतिस्पर्धा और घरेलू टूर्नामेंट की क्वालिटी को बढ़ाना भी प्राथमिकता होगी।