सुनील छेत्री: भारतीय फुटबॉल का एक सितारा
भारतीय फुटबॉल के सबसे चमकते सितारे सुनील छेत्री ने आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल से विदाई की घोषणा कर दी है। उनके विदाई मैच से पहले की चर्चा ने खेल प्रेमियों और मीडिया के बीच धूम मचा दी है। छेत्री का यह अंतिम मैच कुवैत के खिलाफ FIFA वर्ल्ड कप क्वालिफायर के रूप में कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में खेला जाएगा। 3 अगस्त 1984 को सिकंदराबाद में जन्मे सुनील छेत्री ने अपने पेशेवर फुटबॉल करियर की शुरुआत 2002 में मोहन बागान के साथ की थी।
उपलब्धियाँ और करियर
छेत्री का अंतर्राष्ट्रीय करियर प्रभावशाली रहा है। उन्होंने नेहरू कप (2007, 2009, और 2012) और SAFF खेले (2011, 2015, 2021, और 2023) में अद्वितीय प्रदर्शन किया है। 2008 में AFC चैलेंज कप में उनकी जीत ने भारत को 27 साल बाद AFC एशियन कप के लिए क्वालीफाई करने में मदद की। छेत्री के इस 19 साल के करियर में उन्होंने 150 मैचों में 94 गोल करके यह साबित कर दिया कि खेल के प्रति उनकी निष्ठा और कौशल बेमिसाल है।
दिग्गजों की सूची में स्थान
छेत्री का अंतर्राष्ट्रीय गोल स्कोर उन्हें विश्व के तीसरे सबसे बड़े गोल स्कोरर के रूप में स्थान देता है, केवल क्रिस्टियानो रोनाल्डो, अली डेयी और लियोनेल मेसी को पीछे छोड़ते हुए। भारतीय फुटबॉल के इस अजेय योद्धा ने अपने प्रदर्शन से दुनिया को भारत की फुटबॉल शक्ति का एहसास दिलाया है।
कोलकाता में विदाई
कुवैत के खिलाफ होने वाला यह मैच केवल एक और क्वालिफायर नहीं है; यह सुनील छेत्री के 19 साल के फुटबॉल करियर का अंतिम अंतर्राष्ट्रीय मैच होगा। सॉल्ट लेक स्टेडियम में होने वाले इस मैच में छेत्री ने जोर दिया कि टीम का मुख्य फोकस मैच जीतने पर होना चाहिए, ताकि भारत को तीसरे राउंड में पहुंचने का मौका मिल सके, जो पहले कभी नहीं हुआ है।
विशेष संदेश
छेत्री के इस महत्वपूर्ण मैच से पहले, रियल मैड्रिड के मिडफील्डर लूका मोड्रिक ने उन्हें विशेष संदेश भेजकर उनके करियर पर बधाई दी और टीम को शुभकामनाएँ दीं। यह संदेश न केवल छेत्री के लिए सम्मान है, बल्कि भारतीय फुटबॉल के लिए भी गर्व का क्षण है।
संघर्ष और सफलता
छेत्री ने हर बार अपनी मेहनत और संघर्ष से यह साबित किया है कि किसी भी खिलाड़ी के लिए मेहनत और जज्बा सबसे बड़ा हथियार होते हैं। उन्होंने छोटे-छोटे कस्बों और शहरों के युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर दिखाया है कि अगर आपके पास सपने देखने की शक्ति है, तो उन्हें पूरा करने की भी क्षमता होनी चाहिए।
भविष्य की उम्मीदें
छेत्री की विदाई के बाद, भारतीय फुटबॉल को नए नेतृत्व और ऊर्जा की आवश्यकता होगी। हालांकि छेत्री का जाना एक युग का अंत है, लेकिन यह भी सही है कि यह एक नई शुरुआत है। नए खिलाड़ी अब छेत्री की विरासत को आगे बढ़ाते हुए भारतीय फुटबॉल को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हैं।
सुनील छेत्री के 19 साल के इस शानदार सफर ने हर भारतीय को गर्व महसूस कराया है। उनकी मेहनत, समर्पण और खेल के प्रति प्रेम उन्हें हमेशा यादगार बनाएंगे।
एक टिप्पणी लिखें