जनवरी 2024 में भाजपा का हिस्सा बनने वाले अशोक तंवर, जिन्होंने तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व की प्रशंसा की थी, अब कांग्रेस में लौट आए हैं। इस बड़े राजनीतिक परिवर्तन ने हरियाणा की चुनावी राजनीति को न केवल दिलचस्प बना दिया है, बल्कि कांग्रेस की उम्मीदों को भी बल दिया है। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के बावनिया गांव में राहुल गांधी की एक रैली के दौरान तंवर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। यह घटनाक्रम विधानसभा चुनावों के ठीक पहले घटा है, जो आने वाले चुनावी संग्राम को और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बना सकता है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और परिवर्तन
अशोक तंवर की राजनीतिक यात्रा काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है। सिरसा सीट से पूर्व सांसद रहे तंवर 2024 की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए थे। उस समय उन्होंने भाजपा सरकार के विकास कार्यों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की और पार्टी में शामिल होने के पीछे का मकसद राज्य और देश में परीक्षित नेतृत्व को समर्थन देना बताया। भाजपा में शामिल होते समय तंवर ने यह भी कहा था कि उनका मुख्य उद्देश्य भाजपा को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पहले के सभी रिकॉर्ड तोड़ने में मदद करना है। लेकिन केवल कुछ ही महीनों बाद उन्होंने कांग्रेस में लौटकर एक बड़ा राजनीतिक निर्णय लिया।
कांग्रेस के लिए बढ़ते समर्थन
अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी का समय अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हरियाणा विधानसभा चुनावों के दो दिन पहले हुआ। चुनाव के इस माहौल में, तंवर का कांग्रेस में लौटना पार्टी को संभावित रूप से अधिक वोट दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। तंवर के कांग्रेस में लौटने से पार्टी के भीतर नए जोश का संचार हुआ है, जिससे वह राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अधिक ऊर्जा के साथ चुनावी मैदान में उतर सकती है। कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि तंवर की लोकप्रियता उन्हें युवाओं और आम जनता के बीच खोया समर्थन पुनः दिलाने में कारगर सिद्ध होगी।
भाजपा का सामना
तंवर का भाजपा को छोड़ना एक झटका माना जा सकता है, खासकर तब जब वह पार्टी के प्रमुख चेहरे माने जाते थे। भाजपा को इस समय पर समर्थन में कमी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि तंवर ने पार्टी को छोड़ने का निर्णय उस वक्त लिया जब चुनाव करीब थे। इस तरह के कदम पार्टी के लिए एक चुनौती बन सकते हैं, जिसे देखते हुए भाजपा को अपने रणनीतिकारों को सक्रिय करना होगा ताकि वे आगामी चुनावों में संभावित नुकसान को कम कर सकें।
अशोक तंवर के कांग्रेस में लौटने का कारण और उनके इस बड़े फैसले का चुनावों पर क्या असर होगा, यह केवल समय ही बताएगा। लेकिन इतना निश्चित है कि यह हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ लेकर आया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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